ख़वातीन(औरतो/महिलाओं) को सयासी बा इख़तियार बनाने पर ज़ोर : सुषमा

बी जे पी लीडर सुषमा स्वाराज ने आज कहा कि ख़वातीन को महिज़ मआशी यह पेशावराना बा इख़तियार बनाने और ख़ुद मुकतफ़ी बनाने के इक़दामात ही काफ़ी नहीं हैं क्योंकि ख़वातीन की बेहतरी और भलाई केलिए उन्हें सयासी बा इख़तियार बनाना ज़रूरी है । सुषमा स्वाराज ने कहा कि जहां तक सयासी बा इख़तियार बनाने का सवाल है यही हक़ीक़ी बा इख़तियार बनाना है क्योंकि इस से इख़तियार हासिल होता है ।

उन्हों ने कहा कि वो अक्सर कहती रहती हैं कि एक आई टी माहरिया एक प्रोफेसर को वो इख़तियार हासिल नहीं रहता जितना एक ख़ातून एस पी की ख़ातून चौकीदार को हासिल रहता है । उन्हों ने कहा कि हम उसे आई टी माहिरीन को जानते हैं जो सारी तनख़्वाह अपनी सास यह दीगर ससुराली रिश्तेदारों को सौंप देते हैं ताकि उन की अज़ीयतों से बच सकें लेकिन एक ख़ातून एस पी की ख़ातून चौकीदार को इसी सूरत का सामना करना नहीं पड़ता क्योंकि एसा करने पर रिश्तेदारों को जेल की हवा खाने का भी अंदेशा रहता है ।

उन्हों ने कहा कि हमारी अथॉरीटी ख़वातीन को बा इख़तियार बनाने में है । उन्हों ने बी जे पी महेला मोरचा के वर्कशॉप से ख़िताब करते हुए कहा कि तालीम और मआशी आज़ादी अहमियत की हामिल हैं लेकिन सयासी तौर पर बा इख़तियार बनाना सब से अफ़ज़ल है । उन्हों ने कहा कि सयासी इदारों में ख़वातीन के साथ बड़े पैमाने पर जांबदारी होती है । जब तक रियासती असैंबलीयों और पार्ल्यमंट में तहफ़्फुज़ात फ़राहम नहीं किए जाएंगे ख़वातीन को उन की आबादी के तनासुब से नुमाइंदगी नहीं मिल पाएगी और वो सयासी तौर पर बा इख़तियार नहीं बन पाएंगी ।