नई दिल्ली, 04 जनवरी: (पी टी आई) ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ के लिए मौजूदा क़वानीन पर मोस्सर अमल आवरी और इस्मतरेज़ि मुक़द्दमात की आजलाना यकसूई के लिए फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के क़ियाम के उमूर पर सुप्रीम कोर्ट कल समाअत करेगी।
जस्टिस के एस राधा कृष्णन और जस्टिस दीपक मिश्रा पर मुश्तमिल बंच ने कहा कि हम इस मुआमले की अहमीयत को समझते हैं और इस पर समाअत कल होगी। ख़ातून आई ए एस ऑफीसर (रिटायर्ड) प्रोमीला शंकर की दायर करदा दरख़ास्त को बंच के रूबरू पेश किया गया है जबकि चीफ़ जस्टिस अल्तमिश कबीर की ज़ेर-ए-क़ियादत एक और बंच ने इस मुआमले की आजलाना समाअत से इत्तिफ़ाक़ किया था।
जस्टिस रामा कृष्णन की ज़ेर-ए-क़ियादत बंच ने मुआमला की समाअत कल करने का फ़ैसला किया है क्योंकि उसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से ये रिपोर्ट मौसूल हुई है कि ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ से मुताल्लिक़ इसी तरह का एक और मुक़द्दमा ज़ेर ए तसफ़ीया है। जजों की ये राय थी कि उन्हें दूसरे ज़ेर ए तसफ़ीया मुआमला की तफ़सीलात से भी वाक़िफ़ होना चाहीए।
सीनीयर एडवोकेट प्रमोद स्वरूप और एडवोकेट परीना स्वरूप ने कहा कि इन दो दरख़ास्तों को यकजा करने से किसी क़दर मुश्किल हो सकती है लेकिन साबिक़ ब्यूरोक्रेट के दायर करदा मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त में जो दीगर मसाइल पेश किए गए हैं इनमें ख़वातीन के ख़िलाफ़ जराइम के मुआमलात की आजलाना समाअत की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट एक और मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त पर भी कल समाअत करेगी जो एडवोकेट और समाजी कारकुन ओमीका दूबे ने दाख़िल की है। इस दरख़ास्त में ख़वातीन से मुताल्लिक़ जराइम से मुताल्लिक़ उमोर पर जल्द फ़ैसलों के लिए ज़ाइद जजों के तक़र्रुर और इस्मतरेज़ि की शिकार मुतास्सिरीन को लाज़िमी मुआवज़ा फ़राहम करने की ख़ाहिश की गई है।
एडवोकेट रवी प्रकाश गुप्ता की दायर करदा मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त में भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडीया पर ख़वातीन की उर्यां तसावीर की इशाअत और नशरियात पर पाबंदी आइद करने की ख़ाहिश की गई है। मफ़ाद-ए-आम्मा की ये दरख़ास्तें दिल्ली में 16 दिसंबर को 23 साला पैरा मेडीकल तालिबा के घिनौने इजतिमाई इस्मतरेज़ि वाक़िया और मौत के बाद दायर की गई थीं।
इस मुतास्सिरा लड़की की 29 दिसंबर को सिंगापुर हॉस्पिटल में मौत वाकेय् हो गई थी। शंकर की जानिब से दायर करदा दरख़ास्त में इन अरकान-ए-पार्लीमेंट ओ असेंबली को मुअत्तल करने की ख़ाहिश की गई है जिनके ख़िलाफ़ ख़वातीन पर मज़ालिम के लिए चार्ज शीट पेश की गई हो।
रिटायर्ड ख़ातून आई ए एस ओहदेदारने ये दलील पेश की कि सुप्रीम कोर्ट को इस मुआमले में मुदाख़िलत करनी चाहीए क्योंकि मुल्क में हर 40 मिनट में एक ख़ातून इस्मतरेज़ि का शिकार हो रही है और इनमें से अक्सर वाक़ियात मंज़रे आम पर नहीं आते। उन्होंने ये भी कहा कि इस्मतरेज़ि और ख़वातीन-ओ-बच्चों के ख़िलाफ़ जराइम के मुक़द्दमात की ख़ातून पुलिस ओहदेदारों के ज़रीया तहक़ीक़ात की जाये और साथ ही साथ ख़ातून जज ही इन मुक़द्दमात की समाअत करते हुए फ़ैसला सुनाए।
ऐसे वाक़ियात जो मीडीया के ज़रीया मंज़र-ए-आम पर आते हैं इनमें ही बसा औक़ात सज़ा दी जाती है। लेकिन ऐसे वाक़ियात को रोकने और हालात को बेहतर बनाने का कोई रास्ता नहीं है। दूबे ने जो मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्त दायर की है इसमें उन्होंने कोहबागिरी के अड्डों का मसला उठाया जहां लड़कीयों को कोहबागिरी के लिए मजबूर किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कल मर्कज़ और तमाम रियास्ती हुकूमतों को नोटिस जारी करते हुए ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ के लिए इक़दामात के बारे में अंदरून 4 हफ़्ते रिपोर्ट पेश करने की हिदायत दी थी।