ख़ान्गी स्कूलों में फीस ढांचा पर अदम अमल आवरी, इंतेज़ामीया की मनमानी

ख़ान्गी स्कूलों में तलबा की फीस के मुताल्लिक़ सरकारी ओहदेदारों के वाज़ेह अहकामात मौजूद हैं और तमाम स्कूलों में ज़िला एजूकेशनल ऑफीसर की जानिब से तैयार कर्दा फीस की ज़मुरा बंदी का बोर्ड आवेज़ां करना लाज़िमी है चूँकि डी ई ओ की जानिब से मंज़ूरा फीस स्ट्रकचर से ज़ाइद फीस की वसूली पर स्कूल के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गुंजाइश मौजूद है।

ख़ान्गी स्कूलों में उमूमन देढ़ ता 2 माह की तातीलात होती हैं लेकिन इन दो माह की फीस भी तलबा को अदा करनी होती है और ये फीस सालाना इम्तेहानात से क़ब्ल वालिदैन से वसूल करली जाती है लेकिन बेशतर स्कूलों से इस बात की शिकायात मौसूल हो रही हैं कि वो तलबा से वक़्त पर फीस तो वसूल कर लेते हैं लेकिन असातिज़ा को तनख़्वाह सिर्फ़ 10 माह की अदा की जाती है जिस के नतीजा में असातिज़ा को माली मुश्किलात का सामना करना पड़ता है जब कि दो माह की फीस मुकम्मल तौर पर इंतेज़ामीया की आमदनी बन जाती है।

ख़ान्गी स्कूलों में ख़िदमात अंजाम देने वाले असातिज़ा का कहना है कि उन्हें बमुशकिल 15 यौम की तातीलात मयस्सर आती हैं लेकिन इस के बावजूद वो दो माह यानी मई और जून में तनख़्वाह से महरूम रहते हैं। लेकिन कुछ भी कहने यह करने से क़ासिर हैं चूँकि उन्हें मुलाज़मत बरक़रार रखनी है और इंतेज़ामीया उन की इन मजबूरियों का इस्तिहसाल करते हुए उन्हें दो माह की तनख़्वाह से महरूम कर रहा है।

पुराने शहर के स्कूलों में ख़िदमात अंजाम देने वाले ख़ान्गी असातिज़ा ने बताया कि स्कूल इंतेज़ामीया की जानिब से किए जाने वाले इस इस्तिहसाल से डिप्टी डी ई ओ का दफ़्तर और उस में ख़िदमात अंजाम देने वाले वाक़िफ़ हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती।