ख़ारिजा पॉलीसी पर‌ मर्कज़ पर रियासतों का दबाव‌ नामुनासिब

नई दिल्ली, 26 मार्च: टामिल जमातों की जानिब से श्रीलंका के मसले पर मर्कज़ी हुकूमत पर दबाव डालने की कोशिशों के पसे मंज़र में नायब सदर जमहूरिया हामिद अंसारी ने आज कहा कि रियासतों की जानिब से ख़ारिजा पॉलीसी मसले पर जो दबाव‌ मर्कज़ पर पड़ता है वो वफ़ाक़ी ख़्याल के लिए मुआविन-ओ-मददगार साबित नहीं हो सकता। जनाब हामिद अंसारी ने वाज़िह किया कि सिफ़ारत कारी मुख़्तलिफ़ किस्म के ख़तरात से निमटने का एक बेहतरीन और मूसिर ज़रिया है इस के इलावा इस काम के लिए तमाम वसाइल को मुजतमा करना ज़रूरी होता है ताकि पुरअमन और काबिले क़ुबूल हल दरयाफ़त किया जा सके।

सिफ़ारतकारी पर यहां एक तफ़सीली लेक्चर देते हुए नायब सदर जमहूरिया ने कहा कि घरेलू और दाख़िली सियासत की वजह से हालात में वक़फ़ा वक़फ़ा से तबदीली रौनुमा हो रही है। पालीसियों में तबदीली भी अमल में आ रही है। उन्होंने कहा कि पॉलीसी में तब्दीलियों का असल असर रियासतों से पड़ने वाला दबाव‌ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के दबाव‌ की हिक्मते अमली से मर्कज़ की जानिब से ख़ारिजी ताल्लुक़ात को बरक़रार रखने और उन्हें फ़रोग़ देने की सलाहियतों पर असर होता है।

हालाँकि नायब सदर ने अपने लेक्चर में किसी का नाम नहीं लिया है,लेकिन इन रिमार्कस को अहमियत हासिल होगई है क्योंकि हाल ही में टामिलनाडो की जमातों ने हुकूमत पर श्रीलंका के टामिलों के मसले पर असरअंदाज़ होने की ज़बरदस्त कोशिशें की थीं। डी एम के ने इस मसले पर सख़्त गैर मौक़िफ़ इख़तियार करते हुए उसी मसले पर यू पी ए हुकूमत की ताईद से दस्तबर्दारी भी इख़तियार करली थी।

डी एम के का मुतालिबा था कि श्रीलंका में टामिलों पर ज़्यादतियों के ख़िलाफ़ अक़वामे मुत्तहिदा हुक़ूक़े इंसानी कमीशन में अमरीका की क़रारदाद को मज़ीद सख़्त बनाने के लिए इस में तरामीम की जाएं। हुकूमत ने फिर भी इस मुतालिबे को क़ुबूल नहीं किया था।