फ़ैज़ाबाद, 29 मई: (पी टी आई) उत्तर प्रदेश पुलिस की तहवील में 18 मई को फ़ौत हुए मुश्तबा दहशतगर्द ख़ालिद मुजाहिद के विरसा को 6 लाख रुपये मुआवज़ा अदा करने रियासती हुकूमत के फ़ैसले को चैलेंज करते हुए एक समाजी जिहतकार ने इलहाबाद हाइकोर्ट में दरख़ास्त दायर की है।
समाजी जिहत कार नितिन ठाकुर ने गुज़श्ता रोज़ दायर करदा अपनी दरख़ास्त में दावा किया कि मुजाहिद हनूज़ एक मुल्ज़िम थे, यँहा तक कि रियासती हुकूमत के दस्तावेज़ में भी उनके ख़िलाफ़ दहशतगर्दी से मुताल्लिक़ संगीन जराइम का रिकार्ड मौजूद है।
चुनांचे उनकी मौत पर विरसा को मुआवज़ा अदा नहीं किया जाना चाहीए। इस ख़ातून जहदकार ने कहा कि दहशतगर्दी के मुल्ज़िम के ख़ानदान को मुआवज़ा अदा करना दस्तूरी दफ़आत के मुग़ाइर है। उन्होंने हाइकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज के ज़रीया तहक़ीक़ात का मुतालिबा किया ताकि इस बात का पता चलाया जा सके कि आया ख़ालिद मुजाहिद दहशतगर्द थे या उन पर ग़लत इल्ज़ामात आइद करते हुए झूटे मुक़द्दमा में फंसाया गया था।
अगर उन्हें झूटे मुक़द्दमा में फंसाया गया था तो ना सिर्फ़ उनके ख़ानदान को मुआवज़ा दिया जाना चाहीए बल्कि ख़ालिद मुजाहिद को गिरफ़्तार करने वालों के ख़िलाफ़ भी क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहीए। लेकिन अगर तहक़ीक़ात के दौरान ये साबित हो जाता है कि वो दहशतगर्द हमलों में मुलव्वस थे तो उन के ख़ानदान को अदा करदा मुआवज़ा वापस ले लिया जाये।
इस दौरान मुजाहिद के वकील मुहम्मद शुएब ने कहा कि महलूक क़ैदी के विरसा को मुआवज़ा अदा करने के लिए हुकूमत से हनूज़ किसी भी ओहदेदार ने राबिता नहीं किया है। हुकूमत उत्तर प्रदेश ने मुजाहिद के विरसा को मुआवज़ा देने का 26 मई को ऐलान किया था।