जिहादीयों ने इराक़ के सब से बड़े ईसाई क़स्बा पर क़ब्ज़ा कर लिया है। मज़ाफ़ाती इलाक़े भी इस के ज़ेरे क़ब्ज़ा आ चुके हैं, जिस की वजह से लाखों मुक़ामी शहरी ख़ौफ़ और दहशत के आलम में ख़ुद अख़्तियार इलाक़ा कुर्दिस्तान फ़रार हो रहे हैं।
ऐनी शाहिदीन के बामूजिब ख़िलाफ़ते इस्लामीया के अस्करीयत पसंद क़राक़ूश और दीगर कई कस्बों पर रातों रात क़ब्ज़ा कर चुके हैं जबकि कुर्द पेशमोर्गा फ़ौजी इस इलाक़ा से पस्पा हो गए। ये फ़ौजी अब इराक़ में कई महाज़ों पर मुख़्तसर सी तादाद में मौजूद हैं।
कलदानी आर्चबिशप किरकुक और सुलेमानिया जोज़ेफ थॉमस ने अख़बारी नुमाइंदों से कहा कि अब वो जानते हैं कि क़राक़ूश, तिल कैफ़, बरतीला और करमलीश के क़स्बे उस की आबादी से ख़ाली हो चुकी हैं और अस्करीयत पसंदों के ज़ेरे क़ब्ज़ा हैं।
क़राक़ूश एक मुकम्मल तौर पर ईसाई तब्क़ा था जो मूसल और अर्बेल के दरमयान वाक़े है। जिहादीयों का बुनियादी मर्कज़ इराक़ है। अरबेल कुर्द इलाक़ा का दारुल हुकूमत है। आम तौर पर उस की आबादी 50 हज़ार है।
ख़िलाफ़ते इस्लामीया के जंगजूओं की पेशरफ़्त का ये मतलब है कि वो कुर्द इलाक़ाई हुकूमत की सरकारी सरहद के क़रीब 20 किलो मीटर के फ़ासिला पर और अर्बेल से 40 किलो मीटर के फ़ासिला पर मौजूद हैं। उन पर इलाक़ाई हुकूमत के फ़ौजी हमला कर सकते हैं।