ख़ून का नमूना हासिल करने तीवारी के ख़िलाफ़ पुलिस फ़ोर्स भी इस्तेमाल की जा सकती है : दिल्ली हाइकोर्ट

दिल्ली हाइकोर्ट ने आज कहा कांग्रेस के सीनीयर क़ाइद एन डी तीवारी को पदरीत के एक मुआमला में डी एन ए टेस्ट के लिए अपने ख़ून का नमूना देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

याद रहे कि एक नौजवान ने उन पर ये इद्दिआ करते हुए मुक़द्दमा दायर कर दिया है कि मौसूफ़ इसके हक़ीक़ी वालिद हैं। दिल्ली हाइकोर्ट ने सितंबर 2011 में सिंगल जज वाली बंच के इस फ़ैसला को मुस्तर्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि 86 साला एन डी तीवारी को ख़ून का नमूना देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

उबूरी चीफ़ जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस राजीव सहाय ऐंड ला पर मुश्तमिल बंच ने कहा कि अगर मिस्टर तीवारी ख़ून का नमूना देने हनूज़ पस-ओ-पेश कर रहे हो तो इस के लिए पुलिस फ़ोर्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। अदालत के मुताबिक़ और एन डी तीवारी ख़ून का नमूना देने से इनकार करते हैं और अदालत भी उन की बात मान लेती है तो इससे एक ग़लत रिवायत क़ायम होगी, जिस से वाज़िह हो जाएगा कि सियासतदां अदालतों को भी अपनी उंगलीयों पर नचा सकते हैं।
इलावा अज़ीं एन डी तीवारी अगर अदालत का हुक्म मानने से इनकार करते हैं तो अदालत के जबरी हुक्म को ग़लत अंदाज़ में नहीं लिया जा सकता। अदालत का मानना है कि मिस्टर तीवारी की जगह अगर कोई आम आदमी होता तो इस मुक़द्दमा का फ़ैसला हुए एक अर्सा गुज़र चुका होता।

मिस्टर तीवारी का बार बार इनकार अदालत को जबरी तरीक़ा इख्तेयार करने पर मजबूर कर रहा है। नौजवान रोहित शेखर को दीगर तरीक़ों से मुतमईन नहीं किया जा सकता क्योंकि पदरीत साबित करने के लिए डी एन ए टेस्ट की सहूलत मौजूद है और ये रोहित शेखर का हक़ है।

अदालत ने एक बार फिर अपनी बात दुहराते हुए कहा कि डी एन ए टेस्ट के लिए मिस्टर तीवारी के इनकार के बाद पुलिस फ़ोर्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। याद रहे कि रोहित शेखर के सिंगल बंच वाली अदालत के फ़ैसला को चैलेंज किया था जिस की समाअत दिल्ली की अदालत में जारी थी।