ख़्वातीन के किरदार को ढाल नहीं बना सकता रेपिस्ट

नई दिल्ली, 18 मइ: (एजेंसी) सुप्रीम कोर्ट ने जुमे को कहा कि इस्मतरेज़ि के मामले में ख्वातीन के किरदार (Promiscuous character)के होने की बात गैर मुताल्लिक (irrelevant) है और रेपिस्ट इस बात को अपने बचाव में ढाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि Promiscuous character की ख्वातीन को भी जीने का पूरा हक है। जस्टिस बीएस चौहान और जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला की बेंच ने कहा कि इस्मतरेज़ि सिर्फ एक खातून के खिलाफ किया गया जुर्म नहीं है, बल्कि यह पूरे मुआशरे के खिलाफ किया गया जुर्म है।

साथ ही बेंच ने कहा कि अदालत इस तरह के मामलों से संजीदगी और कड़ाई से निपटेगी। बेंच ठ ने कहा कि अगर खातून पहले ही अपना Virginity खो चुकी हो तो भी किसी को उसके साथ रेप करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता।

ऐसे में इस्मतरेज़ि के मामले में इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि खातून Promiscuous character की है। यह बात इस तरह के मामले में पूरी तरह से गैर मुताल्लिक (Irrelevant) है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह हुक्म रेप मामले में मुल्ज़िम की ओर से अपनी सजा को चुनौती देने वाली दरखास्त पर दिया। मुल्ज़िम ने खातून के Promiscuous character के होने और जिस्मानी ताल्लुकात बनाने की बुनियाद पर अपने सजा को चुनौती दी थी।

बहरहाल, बेंच ने मुल्ज़िम को किसी तरह की राहत देने से साफ इंकार कर दिया। बेंच ने कहा कि खातून के जिस्मानी ताल्लुकात होने से इस मामले का कोई लेना देना नहीं है।

Promiscuous character के होने के बावजूद खातून को यह हक है कि वह किसी से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने से इंकार कर सकती है, क्योंकि वह कोई चीज नहीं है जिसका जो चाहे इस्तेमाल कर ले।

बेंच ने कहा कि अदालत इस तरह के मामलों से संजीदगी और कड़ाई से निपटेगी।