शहर हैदराबाद में गुज़िशता कुछ रोज़ पहले दर्जे हरारत 13डिग्री सिल्सयस तक पहुंच गया था और लोगों को शदीद सर्दी का एहसास होता रहा। सर्दी का एहसास उन लोगों को होता है जो खुले आसमान के नीचे रहते हैं।आरामदेह घरों में रहने वालों को ना ही सर्दी का असर होता है और ना ही जाड़ा महसों होता है, क्योंकि उनके पास रहने के लिए घर सोने के लिए बिस्तर और पहनने के लिए गर्म कपड़े मौजूद होते हैं।
लेकिन इस के बरअक्स सड़क के किनारे फुटपाथ पर रात गुज़ारने वालों का इस मौसम में क्या हाल होता होगा आप ख़ुद ही समझ सकते हैं। रियासत आंध्र प्रदेश में 42हज़ार आठ सौ से भी ज़्यादा अफ़राद सड़कों पर ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।शहर हैदराबाद में 17हज़ार 9सौ से भी ज़्यादा अफ़राद फुटपाथ पर अपनी मुश्किलात भरी ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर हैं।
फुटपाथ पर ज़िंदगी गुज़ारने वाले अफ़राद के लिए मौसिम-ए-सर्मा एक इमतेहान से कम नहीं होता है।इस इमतेहान में कई अफ़राद फ़ेल भी होजाते हैं यानी सर्दी से ठिठुर कर मौत की आग़ोश में पहुंच जाते हैं। इन में ज़ईफ़ अफ़राद छोटे बच्चे और कमज़ोर ख़वातीन की तादाद ज़्यादा होती है।
क्या वजह है लोग फुटपाथ पर अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं? मोज़म जाहि मार्किट के क़रीब फुटपाथ पर ज़िंदगी गुज़ारने वाले शेख़ अमजद ने हमें बताया है कि उनके पास रहने के लिए शहर में कोई घर नहीं है ।और काम की तलाश में वो महाराष्ट्र के परभणी इलाक़े से यहां आए हुए हैं।
काम तो मिल गया है लेकिन आमदनी इतनी नहीं है कि वो एक घर में रह सके उनके पास किराया अदा करने की सकत भी नहीं है। उन्होंने मज़ीद कहा कि जहां पर वो काम करते हैं इस कंपनी ने भी रहने के लिए कोई जगह फ़राहम नहींकी है।शेख़ अमजद सिर्फ़ एक आदमी नहीं है जो इस कंपनी में काम करता है बल्कि कई अफ़राद आते हैं काम करते हैं और रात फुटपाथ पर गुज़ारते हैं।
इसी तरह नदीम और पप्पू को भी रात गुज़ारने के लिए सहारा नहीं है।उन लोगों के मुताबिक़ रात के औक़ात में सड़कों पर कुत्तों की कसरत से उन्हें ख़ौफ़ लगा रहता है। कभी कभी रात का कुछ हिस्सा जाग कर गुज़ारना पड़ता है क्योंकि कुत्ते कभी हमलावर भी होते हैं। सड़कों के किनारे रात के वक़्त सोने वालों की जान को राह चलती गाड़ीयों से भी ख़तरा लाहक़ है।
कई बार गाड़ियां फुटपाथ पर सोने वाले अफ़राद को रौंदते हुए गुज़र जाती हैं।एक ज़ईफ़ जोड़े ने हमें बताया कि बेटे की शादी करने के बाद बेटा अलग हो गया। प्रेम और सुनीता का घर अब सड़क के किनारे एक चार पहीयों वाली बंडी में है।जिस पर वो लोग दिन में कुछ मेवा फ़रोख़त करते हैं और रात सड़क पर ही गुज़ारते हैं।
सुनीता ने बताया कि वो अपनी ज़रूरीयात से फ़ारिग़ होने के लिए Sulabh Complex का इस्तेमाल करती है।जिस के लिए उसे हर बार तीन रुपये अदा करने पड़ते हैं और पानी नहाने के लिए 20रुपये अदा करने की ज़रूरत होती है।उन्होंने मज़ीद कहा कि सर्दी की शिद्दत की वजह से उनका हलक़ ख़राब हो गया है और दर्द होता है।
सर्दी को दूर करने के लिए लोग गर्म कपड़ों का इस्तेमाल तो करते ही हैं इस के इलावा कई और तरीक़ों से भी अपने जिस्म को गर्मी पहुंचाते हैं। जैसे सड़क के किनारे रात के वक़्त लक्कड़ीयों और काग़ज़ को जिला कर सर्दी को दूर करने में लगे रहते हैं। इस के इलावा शहर के कई मुक़ामात पर सड़कों के किनारे रात के औक़ात में चाय फ़रोश भी देखे गए हैं।
ग़ैर सरकारी तंज़ीमें इन फुटपाथ पर रहने वालों को Blanketsमुफ़्त तक़सिम करते हैं। लेकिन फिर भी कई अफ़राद को ये राहत नहीं मिलती है।ऐसे में लोग हुकूमत से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके लिए कोई नाइट शेल्टर तामीर किया जाएगा। फुटपाथ पर ज़िंदगी गुज़ार रहे ये लोग हर रात सर्दी से परेशान हैं। हुकूमत को संजीदगी से इस मसले पर ग़ौर करना होगा वर्ना फुटपाथ पर रहने वाली कई जानें सर्दी की ताब ना लाकर ज़ाए हो जाएंगी।