ग़रीब क़ुली का बेटा,100 करोड़ का मालिक

क़मसत और दौलत किसी की मीरास नहीं होती और सच्ची लगन के साथ मेहनत किसी भी इन्सान को तरक़्क़ी की बुलंदी पर पहुँचा सकती है।

इस हक़ीक़त की बेशुमार मिसालों की तवील फ़हरिस्त में केरल के एक क़ुली का 42 साला होनहार बेटा पी सी मुस्तफ़ा एक मिसाल है, जिसने मेहनत और तालीम के ज़रीये तरक़्क़ी करते हुए अपने छोटे से कारोबार को 100 करोड़ रुपये की मशहूर कंपनी आई डी (इडली -डोसा) में तबदील कर दिया और आइन्दा पाँच साल के दौरान इस कंपनी की मालियत 1000 करोड़ रुपये तक पहूँचाने का अज़म भी रखते हैं जो उनके माज़ी के रिकार्ड के पेशे नज़र उन के लिए कोई मुश्किल काम भी नहीं है।

मुस्तफ़ा एक ऐसे कामयाब नौजवान का नाम है जिसका बाप एक ग़रीब क़ुली था और माँ कभी स्कूल में दाख़िल ही नहीं हो सकीथीं और वो ख़ुद भी कई मर्तबा छटवें जमात में नाकामी के बाद तालीम तर्क करते हुए हम्माली-ओ-मज़दूरी के काम में मदद करने लगा था।

उस के एक टीचर ने उस की ज़िंदगी बदल दी। मुस्तफ़ा ने अपनी ज़िंदगी की दास्तान बयान करते हुए कहा कि छटवें जमात में नाकामी के बाद तालीम तर्क करते हुए क़ुली बनना चाहता था। मुस्तफ़ा ने कहा कि मेरी इस कामयाबी के लिए मैं रियाज़ी के टीचर का मशकूर हूँ जिन्हों ने मेरी ज़िंदगी बदल दी।

1995 में अमरीकी कॉलेजों से ग्रेजुएशन किया। एयरलाइन्स में भी आला तालीम हासिल की। दुबई में मुलाज़िमत के बाद 2003 में मुस्तफ़ा ने अपने गांव वापिस होने का फ़ैसला किया जहां उन्होंने अपने वालिदैन के लिए एक घर भी तामीर किया।

वो कोई कारोबार शुरू करना चहते थे कि उन्हें इडली डोसा बनाने का मन्सूबा पसंद आया। छोटे कारोबार का आग़ाज़ हुआ। पहले महीने में सिर्फ 400 रुपये का फ़ायदा हुआ।पहले 9 महीनों तक हम रोज़ 100 पैकेट्स फ़रोख़त करते आज यौमिया 50,000 पैकेट्स फ़रोख़त कर रहे हैं। चंद लाख रुपये का ये कारोबार आज 100 करोड़ रुपये की कंपनी में तबदील हो चुका है जिसमें मुस्तफ़ा को अपनी बीवी और चचाज़ाद भाई का ग़ैरमामूली तआवुन हासिल रहा।