रिपोर्ट के मुताबिक़ कि ग़ाज़ा के 18 लाख रिहायशियों में से 43 फ़ीसद बेरोज़गार हैं, जो दुनिया में बेरोज़गारी की सब से ज़्यादा शरह है। वर्ल्ड बैंक की एक नई रिपोर्ट में ख़बरदार किया गया है कि ग़ाज़ा की मईशत तबाही के दहाने पर खड़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां बेरोज़गारी की शरह दुनिया के तमाम ममालिक से ज़्यादा है। इस में इसराईल और बैन-उल-अक़वामी इमदादी उदरों से मुतालिबा किया गया है कि वो इससूरत-ए-हाल का तदारुक करें।
रिपोर्ट में इल्ज़ाम लगाया गया है कि इलाक़े के मुहासिरे, जंग और ख़राब हुक्मरानी ने ग़ाज़ा की पट्टी की मईशत का गला घोँट दिया है। ग़ाज़ा में इस्लाम पसंद ग्रुप हम्मास की हुक्मरानी है। रिपोर्ट में कहा गया है तनाज़िआत और पाबंदीयों के बगै़र ग़ाज़ा की मजमूई पैदावार मौजूदा पैदावार से चार गुना ज़्यादा होती।
ग़ाज़ा पर पाबंदीयों में 2007 से जारी इलाक़े का मुहासिरा भी शामिल है। इसराईल और मिस्र ने उस वक़्त ग़ाज़ा का मुहासिरा शुरू किया था जब हम्मास ने इंतिख़ाबात में कामयाबी के बाद तशद्दुद के ज़रीये मग़रिब के हिमायत याफ़ता फ़लस्तीनी सदर महमूद अब्बास की वफ़ादार फ़ोर्सिज़ से इलाक़ों का क़बज़ा छीन लिया था।
इसराईल का कहना है कि हम्मास को हथियार और अस्करी ढांचा तामीर करने से रोकने के लिए मुहासिरा ज़रूरी है, जबकि इस के नाक़िदीन का कहना है कि मुहासिरा इजतिमाई सज़ा के मुतरादिफ़ है।