राज्य सभा के इजलास में क़ाइद अपोज़िशन अरूण जेटली का बयान , कई मौजूदा स्कीमों पर तन्क़ीद
राज्य सभा में आज ग़िज़ाई तमानियत बिल मुबाहिस और मंज़ूरी के लिए पेश किया गया जबकि अपोज़िशन ने उसे इंतिख़ाबात के पेशे नज़र हुकूमत ने तमाम दस्तूरी मयारों की ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए जारी करदा आर्डिनेंस का तसलसुल और एक इंतिख़ाबी नाटक क़रार दिया।
क़ाइद अपोज़िशन राज्य सभा अरूण जेटली ने ग़िज़ाई तमानियत बिल की ताईद करते हुए कहा कि ये कई मौजूदा स्कीमों अवामी ग़िज़ाई निज़ाम तक़सीम, मिड डे मील और आई सी डी एस का मजमूआ है, इस में कोई नई बात नहीं है। ग़िज़ाई तमानियत आर्डीनैंस की मुख़ालिफ़त में लाज़िमी क़रारदाद पर ख़िताब करते हुए अरूण जेटली को सी पी आई एम , सी पी आई और अन्ना डी एम के की भी ताईद हासिल है, जिन्होंने पार्ल्यमेंट इजलास के आग़ाज़ से सिर्फ़ एक महीना क़बल उजलत में जारी करदा सदारती आर्डिनेंस क़रार दिया।
उन्होंने कहा कि क्या हुकूमत पार्लियामेंट के इजलास का इंतेज़ार नहीं कर सकती थी, एक माह से कौनसा ज़्यादा फ़र्क़ पैदा हो जाता। दस्तूर एसी कार्रवाई की इजाज़त नहीं देता । ये आर्डिनेंस जारी करने के हुकूमत के हक़ का ग़लत इस्तेमाल है। अरूण जेटली ने ग़िज़ाई आर्डिनेंस उजलत में जारी करने पर एतराज़ करते हुए कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा इसका मक़सद सियासी फ़वाइद हासिल करना है।
उन्होंने उसे तमाम ग़िज़ाई स्कीमों का मजमूआ क़रार देते हुए कहा कि मुख़्तलिफ़ ग़िज़ाई स्कीमों पर जो सब्सीडी अदा की जाती है, वो 124844 करोड़ रुपये है जबकि ग़िज़ाई तमानियत बिल पर 125000 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे। वैंकय्या नायडू ने कहा कि बिल हुकूमत का एक नाटक है क्योंकी आम इंतेख़ाबात के लिए सिर्फ़ चंद माह बाक़ी हैं, इस से अवाम को कोई फ़ायदा नहीं पहूंचेगा।
चार साल 6माह तक हुकूमत को इसका कोई ख़्याल नहीं आया था। अचानक इंतेख़ाबात से चंद माह पहले उन्नति उजलत से ये बिल पेश करने का क्या मतलब हो सकता है। वैंकय्या नायडू ने कहा कि मंसूबा बंदी कमीशन के बमूजब ग़ुर्बत में कमी आचुकी है। अगर ग़ुर्बत कम हो चुकी है तो ये बिल क्यों पेश किया जा रहा है, इसका कोई इत्मीनान बख़श जवाब मौजूद नहीं हैं।