ग़िज़ाई स्कीम देर आये दुरुस्त आये मायावती का तास्सुर

आर्डीनैंस जल्दबाज़ी का इक़दाम, पार्लीयामेंट में मुबाहिस-ओ-इत्तिफ़ाक़ राय होता तो बेहतर होता
बी एस पी सरबराह मायावती ने मर्कज़ की ग़िज़ाई सलामती स्कीम की हिमायत की लेकिन आर्डीनैंस पेश करने के इस के इक़दाम पर नापसंदीदगी ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस इक़दाम को पार्लीयामेंट में मुबाहिस करते हुए इत्तिफ़ाक़ राय से मंज़ूर कराया जाना चाहीए था। देर आये दुरुस्त आये हमारी पार्टी उसकी उसूली तौर पर ताईद करती है, उन्होंने यहां अख़बारी नुमाइंदों को ये बात बताई।

उन्होंने कहा ये आर्डीनैंस उजलत में पेश कर दिया गया। बेहतर होता कि इस पर पार्लीयामेंट में मुबाहिस मुनाक़िद किए जाते। अच्छी तजावीज़ सामने आती और इस पर इत्तेफ़ाक़ राय होसकता था। मायावती ने दो कांग्रेस क़ाइदीन के इन रिमार्कस की भी मज़म्मत की कि कोई शख़्स 5 रुपये और 12 रुपये में पेट भर खाना खा सकता है और उसे ग़रीबों से भोंडा मज़ाक़ क़रार देते हुए कहा कि इन क़ाइदीन ने अगर ग़ुर्बत देखी होती तो इस तरह के बयानात नहीं दिए होते।

मायावती ने कहा कि वो क़ाइदीन जो ऐसा कह रहे हैं ऐसे हैं जिन्होंने अपनी ज़िंदगी में कभी ग़ुर्बत नहीं देखी है। अगर उन्होंने ग़ुर्बत देखी होती तो वो कभी ऐसा नहीं कहे होते। मौजूदा सूरत-ए-हाल में जबकि इफ़रात-ए-ज़र ने ग़रीबों के लिए हालात निहायत मुश्किल बना दिए हैं, ये उनसे भोंडा मज़ाक़ है और हम उस की मज़म्मत करते हैं।

खाने से मुताल्लिक़ कांग्रेस तर्जुमान राज बब्बर और एक दीगर पार्टी लीडर रशीद मसऊद के रिमार्कस को बी जे पी और दीगर ने लगू, बे वक़ोफ़ाना और ग़ैर मंतक़ी क़रार दिया है जिस ने कांग्रेस को दिफ़ा पर मजबूर कर दिया। बब्बर ने बाद में अपने बयान पर अफ़सोस का इज़हार किया है। सुप्रीम कोर्ट के दो साल क़बल के तास्सुरात का हवाला देते हुए कि ग़िज़ाई अजनास की कोई क़िल्लत नहीं और ग़रीबों को मुनासिब ग़िज़ा का हुसूल यक़ीनी बनाना मर्कज़ी हुकूमत की ज़िम्मेदारी है, मायावती ने कहा कि देर से सही, मर्कज़ ने इस बारे में अब अमल किया है।

साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर यू पी ने कहा, ये बदबख्ताना है कि इस तमाम अर्से में मर्कज़ ने ख़ामोशी इख़तियार की और इस बारे में कुछ भी नहीं किया लेकिन अब उन्होंने इस सिम्त में इक़दाम किया है और ये देर आये दरुस्त आये जैसा है हमारी पार्टी उसकी उसूली तौर पर ताईद करती है।