ग़ैर मह्सूब असासा जात केस

राज शेखर रेड्डी हुकूमत में की गई धांदलियों और बे क़ाईदगियों का पहाड़ खोदने की कोशिश में मसरूफ़ हुकूमत और सरकारी खु़फ़ीया एजेंसीयों को इस पहाड़ की खुदवाई के बाद चूहा निकलने की तवक़्क़ो है, तो फिर उनकी इस तग-ओ-दो का कोई फ़ायदा नहीं होगा।

वाई एस आर के फ़र्ज़ंद जगन मोहन रेड्डी के ख़िलाफ़ सी बी आई चार्ज शीट और दीगर कई बाअसर शख़्सियतों के नामों के इन्केशाफ़ से यही ज़ाहिर होता है कि वाई एस आर के दौर में बदउनवानीयों का रिकार्ड किस हद तक भयानक रुख इख्तेयार कर गया था। रियास्ती तेलगुदेशम पार्टी ने अपोज़ीशन के फ़राइज़ अदा करते हुए राज शेखर रेड्डी हुकूमत में बड़े पैमाने पर करप्शन-ओ-बे क़ाईदगियों के पेश आए वाक़्यात में मुलव्वस पाए जाने वाले तमाम वुज़रा के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का पुरज़ोर मुतालिबा किया है।

साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर की काबीना के कई वुज़रा के बड़े पैमाना पर करप्शन में मुलव्वस होने के वाज़िह सबूत हासिल हो चुके हैं तो किरण कुमार रेड्डी हुकूमत में भी शामिल इन बद उनवान वुज़रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में कोई ताख़ीर का मतलब यही होगा कि हुकूमत माज़ी, हाल और मुस्तक़बिल की ख़राबियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।

बदउनवानीयों के ख़िलाफ़ अदालत ने भी फ़ैसला सुना दिया है। वुज़रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की हिदायत मिलने के बाद ज़िम्मेदार और मुताल्लिक़ा एजेंसीयों का काम है कि अदालत की हिदायत की फ़ौरी तामील करें। मगर अफ़सोसनाक पहलू ये है कि कांग्रेस दौर-ए-हकूमत का हर ज़िम्मेदार फ़र्द मतलब का इक़्तेदार सँभालता है।

किसी भी हुक्मराँ को बा सलाहीयत, ईमानदार, बहादुर और अवाम का ख़ैर ख़ाह होना चाहीए लेकिन कांग्रेस दौर के हुकमरानों के बारे में आम राय ये मालूम होती है कि हुक्मराँ नाअहल, बददियानत और अवाम दुश्मन इक़्दामात करने वाले बदख़वाह होते हैं और अवाम को तंग करने में ही ये अपनी बहादुरी समझते हैं। कड़पा के रुकन पार्लीमेंट और वाई एस आर कांग्रेस के सदर जगन मोहन रेड्डी ने अपने वालिद और साबिक़ चीफ़ मिनिस्टर वाई एस आर की भरपूर मुदाफ़अत की है कि इनके वालिद ने रियासत में नौजवानों को रोज़गार की फ़राहमी के लिए सनअतें क़ायम करने अराज़ी मुख़तस की थी।

हक़ीक़त इसके बरअक्स है, किसानों की क़ीमती आराज़ीयात को कौड़ीयों के दाम ख़रीद कर अपने पार्टनर्स की कंपनीयों को ये अराज़ी अलॉट की गई, तेलंगाना के पसमांदा अज़ला महबूबनगर और मेदक में सनअतों के क़ियाम के बहाने कई हज़ारों एकड़ आराज़ीयात हासिल की गईं।

ये आराज़ीयात आज बहुत क़ीमती हो गई हैं मगर इसके असल वारिस वो लोग हैं जो सियासतदानों के इर्द गिर्द घूमते हैं। वाई एस जगन के पास अचानक जमा होने वाली जायदादों का सवाल उठाया जा रहा है तो इस रुकन पार्लीमेंट के ग़ैर मह्सूब असासा जात और रक़ूमात से मुताल्लिक़ सी बी आई की पेश कर्दा चार्ज शीट एक अहम दस्तावेज़ है।

इस पर दुरुस्त क़ानूनी क़दम उठाया जाए तो रियासत के ग़रीब अवाम से हासिल कर्दा आराज़ीयात का सारा हिसाब किताब सामने आ जाएगा। अवाम के लिए एक अच्छी हुकूमत फ़राहम करने का वायदा करने वाले क़ाइदीन उनकी ही क़ीमती ज़मीनात को हड़प कर उन्हें बे ज़मीन बना दिए हैं।

हुकमरानों का फ़रीज़ा है कि वो अवाम को वो आसूदगी मुहय्या करें जिनका उन्होंने वायदा किया था। इस तरह की आसूदगी मुहय्या करने के लिए उन को कुछ ख़र्च नहीं करना पड़ेगा। और उनमें इन हकमरानो को अपनी किसी ख़ास इंतेज़ामी सलाहीयतों का मुज़ाहरा करने की ज़रूरत होती है यहा तक कि मैन पावर भी दरकार नहीं लेकिन बेहिस हुक्मराँ इस तरफ़ तवज्जा देते नहीं हैं।

इनका ध्यान सिर्फ अवाम की जेब हल्की करना और उन्हें बेयार-ओ-मददगार बना देने पर होता है, एक अच्छी हुक्मरानी बिलाशुबा नॉर्मल मुआशरों के लिए कारआमद होती है। आंधरा प्रदेश जैसी क़ुदरती वसाइल से भरपूर रियासत में अवाम को फ़ायदे पहुंचाने के लिए कई काम अंजाम दिए जा सकते हैं, लेकिन अच्छी हुक्मरानी करने वालों के फ़ुक़दान ने अवाम की जरूरतों को नजर अंदाज़ किया है।

किसानों और रियासत की क़ीमती आराज़ीयात के स्कैंडल में मुलव्वस सियासतदां एक दूसरे के मुंह पर कालिख् थोप रहे हैं। किरण कुमार रेड्डी हुकूमत ने साबिक़ वाई एस आर हुकूमत की कारकर्दगी पर सवाल उठाया है तो वाई एस आर के फ़र्ज़ंद जगन मोहन रेड्डी ने करण कुमार रेड्डी पर इल्ज़ाम आइद किया कि एक मीमेंट की फ़ैक्ट्री को महज़ एक लाख रुपय फ़ी एकड़‌ की क़ीमत पर सैंकड़ों एकड़ अराज़ी हवाले की।

हुकूमत के इस इक़दाम को भी करप्शन के तनाज़ुर में देखना ज़रूरी है। जगन मोहन रेड्डी ख़ुद को बेक़सूर साबित करना चाहते हैं। सी बी आई पर उन्हें क़ुर्बानी का बकरा बनाने का इल्ज़ाम लगाया है मगर उनके असासा जात के ताल्लुक़ से सी बी आई ने तमाम हक़ायक़ का पता चलाया है कि उन्हें इस सिलसिला में क़ानूनी सफ़ाई से काम लेना होगा, और तहक़ीक़ाती इदारों के साथ तआवुन करते हुए ख़ुद को क़ानून के हवाले करना चाहीए।

ऐसा करने से उनकी सयासी दियानतदारी का मुज़ाहरा सामने आएगा और वो वाक़ई बेक़सूर हैं तो क़ानून उन्हें बा इज़्ज़त बरी कर देगा। इन का ये इस्तेदलाल कि साबिक़ तेलगुदेशम हुकूमत के दौर की धांदलियों की तहक़ीक़ात कराई जानी चाहीए, मज़हकाख़ेज़ मालूम होता है।ग़ैर मह्सूब असासा जात का केस जगन मोहन रेड्डी पर चल रहा है, सदर तेलगुदेशम पर नहीं।

अपने गुनाहों को किसी दूसरे की चादर से ढाँकने की कोशिश नहीं करनी चाहीए।