ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानी

ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों को अपने वतन में एक फ़आल रोल अदा करने के इलावा उन्हें वोट देने का हक़ अता करने का मौक़ा मिलेगा। मुल्क के अंदर सरमाया कारी में इज़ाफे़ केलिए राहें हमवार होंगी।

प्रवासी भारतीय दीवस के मौक़ा पर वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने एन आर आईज़ (NRIs) के लिए कई तजावीज़ पेश करते हुए वतन से दूर दयार-ए-ग़ैर में रहने वालों के मुख़्तलिफ़ मसाइल का भी अहाता किया है। ये बात काबिल नोट है कि वज़ीर-ए-आज़म ने एन आर आईज़(NRIs) केलिए पैंशन स्कीम और उन्हें बीमा फ़राहम करने का भी ऐलान किया है।

हम देखते आए हैं कि जब भी बैरून हिंद मुक़ीम शहरीयों को मसाइल दरपेश होते हैं तो उन्हें मुताल्लिक़ा मुल्कों के क़वाइद-ओ-शराइत के इलावा दीगर मुआमलों मैं परेशानीयों से दो-चार होना पड़ता है। एन आर आईज़ (NRIs) कभी आज़माईश से दो-चार होते हैं तो हकूमत-ए-हिन्द को मुदाख़िलत करनी पड़ती है।

हालिया बरसों में बैरून-ए-मुल्क ज़ेर-ए-तालीम तलबा-ए-का मसला भी नाज़ुक रुख इख़तियार कर गया है। अमेरीका , बर्तानिया और आस्ट्रेलिया में नसली तशद्दुद, हुकूमतों की गै़रज़रूरी पाबंदीयों की वजह से तलबा-ए-को क़ैदीयों की ज़िंदगी से अबतर ज़िंदगी का सामना करना पड़ा। इस तरह एन आर आईज़ के मसाइल अपनी जगह बरक़रार रहते हैं।

वज़ीर-ए-आज़म ने एन आर आईज़ की परेशानीयों और आज़माईश से गुज़रते दिन रात का भी नोट लिया है। उन्हों ने ख़लीज में मुक़ीम हिंदूस्तानियों, मशरिक़ वुसता की सूरत-ए-हाल का भी तज़किरा किया कि लीबिया में हालात कशीदगी से दो-चार हुए तो यहां मुक़ीम 16 हज़ार हिंदूस्तानियों को महफ़ूज़ वतन वापिस लाया गया। इस से क़बल कुवैत की सूरत-ए-हाल से उन आर आईज़ का मुस्तक़बिल दाँव पर लग गया था।

अचानक नमूदार होने वाले ना मुसाइद हालात से उन आर आईज़ और उन के अहल-ए-ख़ाना को जो ज़हनी तकालीफ़ से गुज़रना पड़ता है इस को मद्द-ए-नज़र रख कर ही वज़ीर-ए-आज़म ने पैंशन और बीमा स्कीम की तजवीज़ रखी है तो ये ख़ुश आइंद कोशिश हैं।

इस का वसीअ तर अहाता किया जाना चाहीए। सऊदी अरब के बिशमोल ख़लीज में कई लाख ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानी काम कररहे हैं, इनमें से वर्कर्स तबक़ा के मसाइल संगीन, दर्दनाक होते हैं। हाल ही में मस्क़त में एक कंपनी की ज़्यादतियों का शिकार तक़रीबन 500 वर्कर्स ने सड़कों पर जमा होकर कंपनी की ज़्यादतियों, तनख़्वाहों की अदमे अदाइगी के ख़िलाफ़ एहतिजाज किया।

इस तरह कई फ़र्दन फ़र्दन या इन्फ़िरादी वाक़ियात भी होते हैं जिन का कोई नोट ना लेने से उन आर आईज़ मसाइल से दो-चार होते हैं। वज़ीर-ए-आज़म ने ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों की हिफ़ाज़त और सलामती के लिए किए गए इक़दामात की फ़हरिस्त पेश करते हुए ख़ासकर अदम इस्तिहकाम से दो-चार मुल्कों में इन आर आईज़ के मुस्तक़बिल केलिए इक़दामात पर तवज्जा दी है।

ख़लीज और मशरिक़ वुसता में हालात अदम इस्तिहकाम से दो-चार हैं। इस के इलावा बैरूनी मुल्कों में मुक़ीम हिंदूस्तानियों की जानिब से अंजाम दी गई ख़िदमात का भी नोट लिया गया। हकूमत-ए-हिन्द और हिंदूस्तानी अवाम को बैरूनी मुल्कों में मुक़ीम हिंदूस्तानी बिरादरी की जानिब से अदा करदा अहम रोल पर फ़ख़र है।

हिंदूस्तानियों का ये ग्रुप बिलाशुबा एक जदीद हिंदूस्तान की तामीर में गिरां क़दर ख़िदमात अंजाम देगा। इस के लिए इन आर आईज़ की हर महाज़ पर हौसलाअफ़्ज़ाई की जानी चाहीए। इस सिम्त में वज़ीर-ए-आज़म ने क़ानून अवामी नुमाइंदगी 1950 के तहत ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों के रजिस्ट्रेशन के लिए आलामीया की इजराई के फ़ैसले से वाक़िफ़ करवाया है।

मुल्क के इंतिख़ाबी अमल में हिस्सा लेने के लिए एन आर आईज़ को मौक़ा देने का ये फ़ैसला एहमीयत रखता है। शहरीयत क़ानून में तरमीम लाए जाकर हिंदूस्तानी नज़ाद अफ़राद और ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों को यकसाँ हुक़ूक़ देने का एक बिल भी मुतआरिफ़ किया गया है।

इस से एन आर आईज़ के लिए कई सहूलियात दस्तयाब होंगी। नीदरलैंडस्, फ़्रांस , आस्ट्रेलिया के इलावा योरोपी यूनीयन केसाथ हुकूमत ने इंसानी वसाइल को मुतहर्रिक करने के शराकत दाराना मुआहिदे भी किए हैं तो इस से ना सिर्फ आला महारत के हामिल हिंदूस्तानियों को बल्कि तलबा-ए-को भी मवाक़े हासिल होंगी।

लेबर मोबलीटी पार्टनरशिप मुआहिदा के इमकानात वसीअ तर होंगे तो माहिरीन तालीम और प्रोफेशनल्स को भी बैरूनी मुल्कों में काम करने का तहफ़्फुज़ाती-ओ-सलामती मौक़िफ़ के साथ मवाक़े हासिल होंगी, लेकिन ये बात भी गौरतलब है कि बैरूनी मुल्कों में भी तहफ़्फ़ुज़ पसंदी ने कई महाज़ों पर ग़ैर मुक़ीम हिंदूस्तानियों के रोज़गार को महिदूद कर दिया है।

तारकीन-ए-वतन केसाथ ग़ैरमुल्कियों का रवैय्या इस तहफ़्फ़ुज़ पसंदी की पालिसी के बाइस तल्ख़ होता जा रहा है। आलमी सतह पर तहफ़्फ़ुज़ पसंदी के मिज़ाज या रवैय्या को दूर करने केलिए हकूमत-ए-हिन्द को मुसबत इक़दामात करने होंगे।

वज़ीर-ए-आज़म ने इस मौज़ू को बैरूनी मुल्कों की कान्फ़्रैंसों में उठाया ज़रूर है मगर एन आर आईज़ को अब भी बढ़ती समाजी अदम रवादारी का सामना है। ख़लीज और मशरिक़ वुसता में मुक़ीम 6 मिलीयन हिंदूस्तानियों के मुस्तक़बिल का ख़्याल रखते हुए हकूमत-ए-हिन्द को नरम पालिसीयां बनाने की ज़रूरत है।

इस में शक नहीं कि हुकूमत ने राहत , बाज़ आबादकारी और बहाली रोज़गार से मरबूत मसाइल पर ऐक्शण प्लान बनाया है लेकिन मसाइल इतने हैं कि हर मुसीबतज़दा तक हुकूमत की राहत कारी पहूंच नहीं पाती।

हुकूमत के ऐक्शन प्लान बाअज़ औक़ात ऐसे होते हैं कि इस में परेशान हाल शख़्स की बाज़ आबादकारी के बारे में सूचना ऐसा ही होता है जैसे पीने के पानी के गिलास से नहाने का सोचना, बैरून मुल्कों में मुक़ीम अफ़राद के मसाइल को हल करने की कोशिश ऐसी नहीं होनी चाहीए कि उन पर एहसान किया जा रहा है।