ग़ैर यक़ीनी मानसून से पैदावार में कमी और महंगाई का अंदेशा

मुंबई: रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया ने आज कहा कि मुल्क में मानसून की कमी और ग़ैर यक़ीनी हालात ने तरक़्क़ी की राह को मस्दूद कर दिए हैं और ज़रई शोबे की कारकर्दगी में कमी आरही है। पैदावार में कमी से महंगाई में इज़ाफे का अंदेशा है। आर बी आई ने अपनी सालाना रिपोर्ट बराए 2014-15 में बताया कि मानसून की पेशरफ़त से ख़ुशकसाली का अंदेशा तो कम हुआ है लेकिन तरक़्क़ी की राह में रुकावट बन सकती है।

बारिश की कमी के बाइस ज़रई पैदावार घट जाये तो इफरात-ए-ज़र में इज़ाफ़ा होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि मानसून की कमी से पैदा होने वाली सूरत-ए-हाल से निमटने के लिए हुकूमत को एक जामा और हंगामी पालिसी बनानी होगी इसकेलिए पेशगी ग़िज़ाई इंतेज़ामात के साथ हिक्मत अमलीयाँ वज़ा की जानी चाहिए ताकि मुल्क में अनाज की क़िल्लत पैदा ना हो।

मालीयाती साल 2016 के इब्तेदाई चार माह के लिए आर बी आई ने इशारे दिए हैं कि इस साल शरह पैदावार 7.6 फ़ीसद रखी गई थी जबकि मालीयाती साल 2015में ये शरह पैदावार 7.2फ़ीसद रही। इब्तेदाई हालात का जायज़ा लेते हुए इस में मानसून की सूरत-ए-हाल का जायज़ा भी शामिल है।

आर बी आई ने अप्रैल में एक रहनुमा या ना राह बताई थी कि इफरात-ए-ज़र की शरह 6फ़ीसद तक जाएगी और बाद के दिनों में ये शरह घट जाएगी और अगस्त के बाद ये शरह इफरात-ए-ज़र जनवरी 2017 तक 6 फ़ीसद से कम होगा। अब तक इफरात-ए-ज़र नताइज से पता चलता है कि आर बी आई के ये अंदाज़े बिलकुल क़रीब पाए गए हैं लेकिन अब मौसमी हालात ने ग़ैर यक़ीनी कैफ़ीयत पैदा कर दी है तो इस का असर मार्किट पर हो रहा है।

इफरात-ए-ज़र में होने वाली तब्दीलीयों पर तवज्जे देने की ज़रूरत है। आर बी आई रिपोर्ट में कहा गया है कि मईशत के लिए मजमूई तौर पर सूरत-ए-हाल बेहतर हो रही है। तिजारती एतिमाद अब भी बरक़रार है। बजट में जो ऐलानात किए गए हैं इस से इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सरमायाकारी में इज़ाफ़ा हुआ है और ख़ानगी सरमायाकारी में भी इज़ाफे से सारिफ़ीन के एहसासात का अहया होगा और इफरात-ए-ज़र के असरात ज़्यादा मनफ़ी नहीं रहेंगे।