गोधरा वाक़िया, 2002 के फ़सादात के एक मुक़द्दमा में चीफ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और चंद दूसरों को क्लीन चिट देते हुए मुक़द्दमा बंद करने की ख़ुसूसी तहकीकात कमेटी की रिपोर्ट के ख़िलाफ़ ज़किया जाफरी की दर्ख़ास्त पर एक मुक़ामी अदालत ने अपने फैसले के ऐलान को आज फिर एक मर्तबा मुल्तवी करदिया।
मेट्रो पोलीटन मजिस्ट्रेट बी जे घाता रह जो आज रुख़स्त पर थे मुख़्तसर वक़्त के लिए अदालत पहूंचे और वुकला को मतला किया कि वो 26 दिसम्बर को अपने फैसला का ऐलान करेंगे। 2002 के फ़सादात के दौरान शरार्ती के हाथों ज़िंदा जला दिए गए कांग्रेस के रुक्न राज्य सभा एहसान जाफरी की बेवा ज़किया जाफरी की इस दर्ख़ास्त पर पाँच माह तक बहस जारी थी।
20 सितंबर को मजिस्ट्रेट ने 28 अक्तूबर को फैसला सुनाने का ऐलान किया था लेकिन 28 अक्तूबर को उन्होंने अपने फैसले का ऐलान आज तक मुल्तवी किया था। गुलमर्ग सोसाइटी क़तल-ए-आम वाक़िया में ज़किया के शौहर एहसान जाफरी के बिशमोल 59 अफ़राद हलाक होगए थे।
ज़किया जाफरी की दर्ख़ास्त पर ही सुप्रीम कोर्ट ने ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम तशकील दी थी। ज़किया जाफरी ने शिकायत की थी कि फ़सादात की पसेपर्दा साज़िश में नरेंद्र मोदी और दूसरे मुलव्वस हैं लेकिन इस टीम ने साल फरवरी में अपनी क़तई रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि उसको दस्तयाब सबूत किसी के ख़िलाफ़ इस्तिग़ासा की कार्रवाई के लिए काफ़ी नहीं हैं। इस रिपोर्ट के ख़िलाफ़ ज़किया जाफरी ने अप्रैल में एक और दर्ख़ास्त दायर की थीं।
जिस में अपील की गई थी कि इस रिपोर्ट को मुस्तर्द करते हुए मोदी और दूसरों के ख़िलाफ़ चार्ज शीट पेश करने पुलिस को हुक्म दिया जाये।