ज़बान बंदी के बनिसबत ग़ैर ज़िम्मेदार मीडिया बेहतर है : जस्टिस प्रसाद

नई दिल्ली: प्रेस काउंसल आफ़ इंडिया के सदर नशीन जस्टिस सी के प्रसाद ने आज कहा है कि ग़ैर ज़िम्मादार मीडिया बनिसबत जकड़ बंदीयों के बेहतर है और सहाफ़ीयों पर-ज़ोर दिया है कि क़ौमी मुफ़ाद के दायरे कार में इख़तेलाफ़ राय ज़ाहिर करें। सदर नशीन प्रेस काउंस‌ल ने इन ख़्यालात का इज़हार उस वक़्त किया जब उनसे हालिया याक़ूब मैमन की फांसी के वाक़िये को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने पर 4 सरकरदा न्यूज़ चैनलों को मर्कज़ी विज़ारत इत्तेलाआत-ओ-नशरियात की जानिब से वजह नुमाई नोटिस जारी करने के बारे में तबसरे की ख़ाहिश की गई।

रिटायर्ड जस्टिस सी के प्रसाद ने कहा कि मर्कज़ विज़ारतों बिशमोल विज़ारत-ए-दाख़िला की जानिब से मीडिया के ख़िलाफ़ ज़बान बंदी के अहकामात के बारे में रिपोर्टस का प्रेस काउंसल ने भी नोट लिया है और इस ख़ुसूस में विज़ारत इत्तेलाआत-ओ-नशरियात से वज़ाहत तलब की है। विज़ारत-ए-दाख़िला ने हाल ही में नॉर्थ बलॉक में मीडिया के नुमाइंदों की नक़ल-ओ-हरकत पर तहदीदात के अहकामात जारी किए हैं जिस पर सहाफ़ीयों ने एतराज़ किया है।