अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने 2015को बैन-उल-अक़वामी नूरी साल क़रार दिया है जिस के दौरान महिरीन-ए-फ़लकीयात और इस शोबे से दिलचस्पी रखने वालों के लिए मुतअद्दिद फ़लकियाती वाक़ियात रौनुमा होने की तवक़्क़ो है। जैसा कि हम जानते हैं शमसी निज़ाम में ज़मीन अपने बैज़वी मदार में सूरज के अतराफ़ घूमती रहती है।
लिहाज़ा इस सफ़र के दौरान एसा मरहला भी आता है जब वो मर्कज़ निज़ाम-ए-शामसी से अक़ल्ल तरीन और फिर एक मरहले पर आज़म तरीन फ़ासले पर होती है। पलानीटरी सोसाइटी, इंडिया ने इस ज़िमन में एक उमूमी ख़्याल के ताल्लुक़ से वज़ाहत की है। आम तौर पर समझा जाता हैके सूरज से ज़मीन का फ़ासिला मौसम या ज़मीन के दर्जा हरारत का ताय्युन करता है।
ताहम ये सही नहीं है। दरहक़ीक़त ज़मीन का सूरज के अतराफ़ गर्दिश के दौरान अपने महवर पर रहते हुए मिहवरी झुकाव (लग भग 23.5 डिग्री) ज़मीन पर मौसमों का ताय्युन करता है जबकि निस्फ़ कुर्रा-ए-अर्ज़ सूरज से दूर या उस की तरफ़ होता है। इसी गर्दिश में ज़मीन इतवार 4 जनवरी को सूरज से क़रीब तरीन फ़ासले पर आएगी, और उसी रोज़ शिहाबी बारिश भी ज़ोरों पर रहने का इमकान है। इन सिरी रग्घू नंदन कुमार, डायरेक्टर ऐंड फ़ाओनडर सेक्रेटरी के जारी करदा बयान के मुताबिक़ जिस तरह 4 जनवरी को ज़मीन और सूरज के दरमयान अक़ल्ल तरीन फ़ासिला (तक़रीबन 147 मिलिय्न कीलोमीटर) होगा, इसके बरअक्स 6 जुलाई को दोनों के दरमयान सब से ज़्यादा फ़ासिला (लग भग 152 मिलिय्न कीलोमीटर) रहेगा। उन्होंने बताया कि पिछ्ले 28 दिसंबर से शिहाबी बारिश होरही है जो 12 जनवरी 2015तक जारी रहेगी जिस में 4 जनवरी को उरूज पर होगी। डायरेक्टर पलानीटरी सोसाइटी ने कहा कि इस साल के ज़्यादा तर हिस्से में स्यारा ज़ुहरा दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि अगसट के पहले हफ़्ते तक ग़ुरूब आफ़ताब के बाद वीनस को मग़रिबी आसमान में चमकदार शए के तौर पर देखा जा सकता है।