ज़रदारी को अलग रखने का प्रधानमंत्री पाकिस्तान का दिफ़ा

ईस्लामाबाद सुप्रीम कोर्ट ने हुक्म दिया है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपती आसिफ़ अली ज़रदारी 12 जुलाई तक इस के हुक्म की तामील करें। जबकि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशर्फ़ ने पाकिस्तान के राष्ट्रपती को हासिल इस्तिस्ना का दिफ़ा करते हुए कहा कि इन के ख़िलाफ़ कार्रवाई ओहदे से सुबुक‌दोश होने के बाद ही सम्भव‌ है।
वो जमहूरी तौर पर चुने गए सदर हैं और क़ानून के मुताबिक़ उन्हें जब तक ओहदे पर बरक़रार हैं इस्तिस्ना हासिल है। वो एक प्रैस कान्फ़्रैंस से बातचित‌ कर रहे थे। उन्हों ने कहा कि तमाम माहिरीन क़ानून हुकूमत के इस मौक़िफ़ पर मुत्तफ़िक़ हैं। राजा अशर्फ़ के पेशरव‌ यूसुफ़ रज़ा गिलानी को अदालत कि तौहिन‌ का मुर्तक़िब क़रार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पाकिस्तानी पार्लीमेंट की सदसियत‌ के लिए अयोग्य‌ क़रार दिया था।

जबकि उन्हों ने सुप्रीम कोर्ट के अहकाम पर ज़रदारी के ख़िलाफ़ जाल साज़ी के मुक़द्दमों को दुबारा जारी करने से इनकार कर दिया था। गिलानी और अशर्फ़ दोनों का दावा है कि ज़रदारी को देश और विदेश में अदालत कार्रवाई से अलग रखा जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट हुकूमत पर दबाव‌ डाल रही है कि वो ज़रदारी के ख़िलाफ़ जाल साज़ी के मुक़द्दमों को दुबारा जारी करेगी ।

नए प्रधानमंत्री राजा परवेज़ मुशर्रफ़ ने कहा कि वो अपने फ़ैसले का 12 जुलाई को एलान करेंगे। उन्हों ने कहा कि अदालती कार्रवाई से इस्तिस्ना सिर्फ़ पाकिस्तान के राष्ट्रपती को नहीं बल्कि दुनिया भर के तमाम राष्ट्रपतीयों को हासिल है। सदर के कारवाई से अलग रखने के मसले को हद से ज़्यादा मुबालग़ा आराई के साथ पेश किया जा रहा है।

उन्हों ने कहा कि अगर इस बारे में दरुस्त फ़ैसला ना किया जाए तो इस से मुल्क में इंतिशार फैल सकता है इस लिए उसे फ़ैसलें नहि करना चाहीयें और उसे मुनासिब फ़ैसले किए जाने चाहिए जिन से मुल्क‌ को नुक़्सान ना पहुंचे।

उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में अदालत‌ माज़ी की पाबंद है। तमाम सियासी पार्टीयां और लोग‌ सदर का दिफ़ा करने के लिए सड़कों पर आजाएंगे अगर पार्लीमेंट के साथ इसी किस्म का सुलूक जारी रखा जाए।