नई दिल्ली 19 जुलाई (पी टी आई) ज़राए इबलाग़ को चाहिए कि किसी भी शख़्स को मुक़द्दमे की समाअत से पहले ख़ाती क़रार देने के सिलसिले में सब्र-ओ-तहम्मूल और एहतियात का दामन हाथ से नहीं छोड़ना चाहीए। मर्कज़ी वज़ीर-ए-इत्तलात-ओ-नशरियात मनीष तिवारी ने आज एक सवाल का जवाब देते हुए जो रेलवे रिश्वतखोरी मुक़द्दमे के बारे में था, जिस में साबिक़ वज़ीर रेलवे पी के बंसल के भांजे मुलव्वस हैं, कहा कि वो ये समझने से क़ासिर हैं कि क्या हम मुल्क में इंसाफ़ के रास्ते के मुतवाज़ी रास्ते पर चल रहे हैं जबकि ये अदलिया का दाइरा-ए-कार है।
लेकिन ज़राए इबलाग़ यही रास्ता इख़तियार कररहे हैं। उन्होंने कहा कि सी बी आई ने फ़र्द-ए-जुर्म दाख़िल किया है। उसकी बुनियाद पर तहक़ीक़ात जारी हैं। अगर किसी शख़्स को फ़र्द-ए-जुर्म पर कोई एतराज़ हो तो वो अदालत में पेश होकर अपना मौक़िफ़ पेश करसकता है। ज़राए इबलाग़ को अपने तास्सुरात ज़ाहिर करते हुए इस बात का ख़्याल रखना चाहिए कि वो अदलिया के दायरे कार की ख़िलाफ़वरज़ी तो नहीं कर रहे हैं।