ज़लज़लों के तफ़सीली मुशाहिदा के लिए नया तजुर्बा

ज़लज़ला के बारे में मालूमात हासिल करने के मक़सद से एक नया तरीकेकार अख़्तियार किया जा रहा है और ज़लज़ला के लिये हस्सास ज़ोन कोइना के करीब दस के मिनजुमला 8वीं इंतिहाई गहरे बोरवेल की खुदाई का काम जारी है।

दसवीं बोरवेल सब से ज़्यादा 7 कीलोमीटर तक गहिरी होगी। वज़ारते अर्थ साइंसेस और सी एस आई आर- नेशनल ज्यो फ़िज़ीकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एन जी आर आई) हैदराबाद की जानिब से पहली मर्तबा कोइना, महाराष्ट्रा में खुदाई का ये काम शुरू किया गया है। इस के ज़रीए ज़लज़ला के दौरान और इस के बाद होने वाली तब्दीलियों के बारे में मालूमात हासिल होंगी।

एन जी आर आई उस वक़्त कई तजुर्बात जारी रखे हुए है। इस बार ज़लज़लों के लिये हस्सास ज़ोन में 7 किलो मीटर तक गहरे बोरवेल की खुदाई का मंसूबा है। इस तहक़ीक़ाती काम की क़ियादत कर रहे डॉक्टर अन्नपूर्णा चन्द्र राव सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट एन जी आर आई ने बताया कि इस नए तरीकेकार से साईंसदानों को ज़लज़ला के बारे में तफ़सीली मालूमात हासिल होंगी।

वज़ारते अर्थ साईंस ने इस मेगा प्रोजेक्ट के लिये 473 करोड़ रुपये मंज़ूर किए हैं। इस के इलावा इंस्टीट्यूट के क़ियाम के लिये संगे बुनियाद रखा गया है।