हिंदुस्तानी क्रिकेट टीम, जुनूबी अफ़्रीक़ा के दौरा पर रवाना होरही है और टीम के साथ काफ़ी उम्मीद हैं, लेकिन बौलिंग शोबा तशवीश का बाइस है क्योंकि कई बोलर्स ना तजुर्बा कार हैं।
ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ हालिया वन्डे सीरीज़ में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जिस तरह सूरत-ए-हाल से निमटा था और उसके बाद फिर वेस्ट इंडीज़ के साथ सीरीज़ में उन्होंने अपनी क़ाइदाना सलाहियतों का सबूत पेश किया, उसे मल्हूज़(ध्यान) रखते हुए ये कहा जा सकता है कि जुनूबी अफ़्रीक़ा में भी हिंदुस्तानी टीम कामयाबी हासिल करेगी।
टीम में विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसे बैटस्मेन मौजूद हैं जिन्होंने मजमूई तौर पर हालिया दिनों में काफ़ी अच्छा मुज़ाहरा किया , लेकिन जुनूबी अफ़्रीक़ा का मुआमला किसी क़दर मुख़्तलिफ़ है। ये सीरीज़ दोनों ममालिक के क्रिकेट बोर्डस के माबैन इख़तिलाफ़ के बाद होरही है।
पहला वन्डे मैच जोहांसबर्ग में 5 दिसम्बर को खेला जाएगा। हिंदुस्तानी टीम यहां 2 टेस्ट मैचस भी खेलेगी और उसे जुनूबी अफ़्रीक़ा के फ़ास्ट बोलर्स डील स्टीन ऐंड कंपनी का सामना करना होगा। इस बौलिंग अटैक के सामने हिंदुस्तानी बैटस्मेन अगर बेहतर मुज़ाहरा करने में कामयाब होजाएंगे तो ये हिंदुस्तान के हक़ में मुफ़ीद होगा।
विराट कोहली, रोहित शर्मा और शिखर धवन को जुनूबी अफ़्रीक़ा में फ़ास्ट और बाउंस का ज़्यादा सामना करना होगा। इसके साथ साथ हिंदुस्तान को बौलिंग शोबा पर तवज्जो देना भी ज़रूरी है। हिंदुस्तान के लिए जोहांसबर्ग और डरबन में होने वाले 2 टेस्ट मैचस में बौलिंग ही सब से बड़ा चैलेंज होगा, क्योंकि इन मैचस में कोकाबुर्रा गेंद इस्तिमाल की जाएगी और हिंदुस्तान के लिए ऐसी सूरत-ए-हाल का सामना करना मुश्किल होगा।
टीम के लिए हौसला अफ़्ज़ा-ए-पहलू ये है कि तजुर्बाकार फ़ास्ट बोलर ज़हीर ख़ान को टेस्ट में शामिल करलिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि वो हिंदुस्तानी बौलिंग शोबा की कामयाब क़ियादत करेंगे और नए बोलर्स की रहनुमाई करेंगे। इशांत शर्मा ने हरियाणा के ख़िलाफ़ 9 विकेटस हासिल किए लेकिन जुनूबी अफ़्रीक़ा का मुआमला बिल्कुल अलग है।
इसी तरह ऊमेश यादव और उभरते बोलर्स मुहम्मद समीअ और भुवनेश्वर कुमार के लिए भी ये दौरा आज़माईश कुन साबित होसकता है। हिंदुस्तान के लिए कोकाबुर्रा गेंद का इस्तिमाल मुश्किल साबित होसकता है क्योंकि हिंदुस्तानी बोलर्स आम तौर पर होम गराउंडस ऐस जी गेंद इस्तिमाल करते हैं।
कोकाबुर्रा गेंद की ख़ुसूसियत ये है कि उसकी चमक ख़त्म होने के बाद उसकी रफ़्तार में भी फ़र्क़ आजाता है और उसकी नौईयत बदल जाती है। हिंदुस्तान के बरअक्स जुनूबी अफ़्रीक़ा की प्रैक्टिस पीचस भी काफ़ी मुख़्तलिफ़ और आला मेयारी होती हैं। इस लिहाज़ से 5 ता 30 दिसम्बर हिंदुस्तानी टीम के दौरा में ज़हीर ख़ां की शमूलियत ज़रूरी थी।
आम तौर पर हमारे मुल्क में ये रुजहान है कि जब टीम खराब मुज़ाहरा करती है, उस वक़्त कोचस पर तवज्जो दी जाती है और तन्क़ीद निगार(आलोचक) सारी टीम को निशाना बनाते हैं, लेकिन ये देखना भी ज़रूरी है कि होम गराउंड में बेहतर मुज़ाहरा किया जा सकता है लेकिन जब हालात बिल्कुल नासाज़गार हों या फिर टीम के रुजहान के बरअक्स हो तो मुज़ाहरा पर असर पड़ सकता है और हमें ऐसे हालात में खेलने की तैयारी करनी चाहिए।
हमें ये भी याद रखना है कि जुनूबी अफ़्रीक़ा पहूंचने वाली इस टीम में सचिन तेंदुलकर, राहुल डरावीड, वि वि एस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग जैसे तजुर्बाकार खिलाड़ी नहीं रहे।