ज़हूर ज़ात रसूले अक़दस, इंसानियत पर एहसान अज़ीम

करीमनगर,28 जनवरी: हमें जब कोई मख़सूस किस्म की नेअमत ख़ुशी मिल पाती है तो हम अपने अपने तरीक़े से इस नेअमत के मिल जाने का जश्न मनाते हैं। इसी तरह हमारी कोई नेअमत छिन जाती है तो हमें अफ़सोस और मलाल होता है। इसी तरह नेअमत हासिल होती है तो हमें ख़ुशी हासिल होती है और ये फ़ित्रत इंसानी का तक़ाज़ा है। अल्लाह की नेअमतों में मीलाद-उन्नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बढ़ कर नेअमत और ख़ुशी दोनों जहान में इस के अलावा नहीं होसकती।

इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना उबैदुल्लाह ख़ां आज़मी साबिक़ एम पी ने करीमनगर क़लब शहर में मर्कज़ी मीलादुन्नबी(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम‌) कान्फ़्रैंस के ज़ेर-ए-एहतिमाम जूनियर कॉलेज के वसीतर गराउंड में बसदारत जनाब मुहम्मद अबदुलकरीम कादरी मुनाक़िदा जलसे को मुख़ातब करते हुए किया।

उन्होंने कहा कि मुसलमानो ग़ौर करो कि हमारे लिए इस से बड़ी और क्या नेअमत होसकती है जो हमें हुज़ूरे अकरम की ज़ात अक़्दस जो कि रहमत ही रहमत है, मीनारा हिदायत है, परवरदिगार आलम ने आप को इस कायनात की सारी मख़लूक़ जिन‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍ ओर बशर की हिदायत, दोज़ख़ से निजात और जन्नत की बेशबहा राहतों, सहूलतों, लज़्ज़तों, नेअमतों से लुत्फ़ अंदोज़ होने की राह बतलाई।

माबूद हक़ीक़ी से जा मिलने, उस की मर्ज़ी के मुताबिक़ ज़िंदगी गुज़ारने की राह दिखाई।मौलाना ने इंतिहाई अदब-ओ-एहतिराम के साथ सरकारे दो आलम के दुनिया में तशरीफ़ लाने से पहले के हालात पर रोशनी डाली।जश्न‍ मीलाद सारी इंसानियत, इंसानों को ज़ुल्मत-ओ-गुमराही से रोशनी की तरफ़ ले आने की ख़ुशी के सिलसिले में मनाया जाता है।

जहालत के तारीक अंधेरे में घिरी हुई दुनिया में रोशनी ही रोशनी के लिए तमाम बुराईयों को मिटाने, बेहयाई, ज़ुलम, सूद, शराब, चोरी, ऐसी कौन्सी बुराई जो उस वक़्त नहीं थी जिस का ज़िक्र किया जाये। इस तरह की तमाम ख़राबियों ख़ामीयों के ख़ातमे के लिए हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ज़हूर हुआ था, ये सारी दुनिया पर अल्लाह तआला का करम था।

मौलाना अहमद नक़्शबंदी जामिआ निज़ामीया ने भी मुख़ातिब किया। जलसे की कार्रवाई मौलाना अबूलकलाम मिस्बाही और हाफ़िज़ क़दीर ने चलाई। जलसे का आग़ाज़ तिलावत कलाम पाक से हुआ। सय्यद मुईज़उद्दीन उर्फ़ हाफ़िज़ यूसुफ़ ने इंतिहाई ख़ुशइलहान तर्ज़ पर तिलावत की। नज़राना अक़ीदत हाफ़िज़ क़दीर ने पेश किया।

उन के अलावा शहि नशीन पर मौलाना हाफ़िज़ क़य्यूम भाई, ग़ुलाम रब्बानी कादरी जनरल सेक्यूरिटी मीलाद कमेटी, मौलाना ख़्वाजा अलीमुद्दीन निज़ामी के अलावा दीगर मोअज़्ज़िज़ीन मौजूद थे। जूनियर कॉलेज गराउंड में आशिक़ाने रसूल‌ की कसीर तादाद मौजूद थी।