अलीगढ़: प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान डॉ जाकिर नाइक के मुंबई स्थित इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन में मोदी सरकार के लगाए गए पांच साल का प्रतिबंध के खिलाफ कल शुक्रवार की नमाज के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने विरोध मार्च निकाला। छात्रों ने प्रतिबंध को गलत बताते हुए इसे मोदी सरकार से वापस लेने की अपील की। मार्च में छात्रों की एक बड़ी संख्या ने भाग लिया।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार छात्रों ने जुमा की नमाज के बाद मौलाना आजाद लाइब्रेरी के सामने इकठ्ठा हुए। यहाँ से ऑल स्टूडेंट्स फेडरेशन के बैनर तले वह बाबे सैयद पहुंचे। एक छात्र ने भाषण देते हुए कहा कि बांग्लादेश आतंकवादी हमले में शामिल एक आरोपी के केवल इस बयान को आधार बनाकर वह जाकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित है, उनके खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए गए। छात्र ने कहा कि मोदी सरकार में मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ गया है।
इस अवसर पर छात्र अपने हाथों में विभिन्न प्रकार के प्ले कार्ड लिए हुए थे जिसमें डॉ जाकिर नाइक के संस्थानों पर प्रतिबंध सहित कई और गंभीर मुद्दों पर नारे दर्ज थे।
वे नारे ये थे: अंधा कानून किसके लिए ‘क्या मैं नया दलित हूँ, अंधे कानून का ख़ौफ़, मैं फैसल हूँ क्या आप मेरे साथ खड़े हैं, नजीब कहां है? मैं ज़ाकिर नाईक हूँ मुझे न्याय चाहिए, आई आर एफ़ पर प्रतिबन्ध अवैध और असंवैधानिक है, आदि।
छात्रों ने अपने भाषणों में कहा कि इस देश की गंगा जमुनी तहज़ीब की अखंडता को फासीवादी ताकतों से गंभीर खतरा है। आज दलितों को मारा जाता है, रोहित वेमुला को मार दिया जाता है, कभी केवल गोमांस की शक के आधार पर मोहम्मद अखलाक़ को मौत के घाट उतार दिया जाता है, तो कभी मुस्लिम जोड़ों को जिंदगी से वंचित कर दिया जाता है।
छात्रों ने कहा कि जेएनयू से नजीब को गायब करके मुस्लिम छात्रों में डर पैदा किया जा रहा है ताकि उनकी लियाकतें सलाहियतों को जंग लग जाये. मार्च के आख़िर में जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सोंपा गया।