ज़िंदगी के हर शोबे में उर्दू ज़बान के साथ सौतेला सुलूक

रियासत आंध्र‌ प्रदेश के 16 अज़ला में उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान का दर्जा दिया गया है । लेकिन किसी भी ज़िले में उर्दू बहैसियत दूसरी सरकारी ज़बान के तौर पर इस्तेमाल नहीं की जा रही है । हुकूमत उर्दू ज़बान को तरक़्क़ी देने के वाअदे तो कर रही है लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि अज़ला में उर्दू ज़बान को लेकर नज़रअंदाज किया जा रहा है ।

उर्दू दूसरी सरकारी ज़बान का दर्जा रखने के बावजूद अज़ला में सरकारी और गैर सरकारी दफ़ातिर में उर्दू नदारद है ।यहां तक कि दफ़ातिर के बोर्डज़ , साइन बोर्डज़ पर भी उर्दू में तहरीर करवाना ज़रूरी नहीं समझा जा रहा है । ज़िले रंगा रेड्डी में भी उर्दू ज़बान का कोई पुर्साने हाल नहीं है ।

ज़िले रंगा रेड्डी बिलख़सूस विकाराबाद शहर में तो उर्दू बराए नाम रह गई है । विकाराबाद एक कसीर मुस्लिम आबादी वाला शहर है और शहर विकाराबाद तालीमी एतबार से भी तरक़्क़ी याफ़ता है और यहां सरकारी दफ़ातिर की कसीर तादाद मौजूद है । ज़िले रंगा रेड्डी का एस पी ऑफ़िस भी विकाराबाद में ही मौजूद है ।

विकाराबाद के किसी भी सरकारी दफ़ातिर के साइन बोर्डज़ पर उर्दू में नाम तहरीर नहीं है । जैसे कि बस डिपो , बस स्टैंड , मंडल रेवन्यू ऑफ़िस , म़्यूनिसिपल ऑफ़िस , स्टेट बैंक औफ़ हैदराबाद , पुलीस स्टेशन , ख़वातीन पुलीस स्टेशन , फॉरेस्ट ऑफ़िस , सैंटर्ल आई टी आई , सरकारी एरिया अस्पताल , आर टी सी बसों पर और ज़िलई एस पी ऑफ़िस के साइन बोर्ड पर कहीं पर भी उर्दू में नाम तहरीर करदा(लिखा) नहीं है ।

बड़े अफ़सोस की बात है कि विकाराबाद , नवाब पेट , मोमिन पेट , धारोर , पोडोर , मारेड‌पल्ली के मंडलों के देहातों में वाक़्य उर्दू मीडियम सरकारी मदारिस के नाम भी उर्दू ज़बान में तहरीर करदा नहीं है । हुकूमत उर्दू ज़बान के साथ साथ उर्दू मीडियम के सरकारी मदारिस के साथ भी सौतेला सुलूक कर रही है ।

उर्दू मीडियम मदारिस में बुनियादी सहूलतों का फ़ुक़दान है । आलम पल्ली , शिवा रेड्डी पेट , कुत्ता गढ़ी , मुद्गल पटम पल्ली , मंे गोरा , चंगे मूल और पोडोर के उर्दू मीडियम सरकारी मदारिस के तलबा और‌ तालिबात कई मसाइल का सामना कर रहे हैं । उर्दू मीडियम सरकारी मदारिस में बहुत से मसाइल है ।

बैत उल-खला का मसला , पीने के पानी , हसारी दीवार , कमरा जमातों की कमी है और चंद स्कूलों में कमरा जमाअतें मुकम्मल तौर पर तामीर शूदा नहीं है । उर्दू मीडियम स्कूलों में सरकारी असातिज़ा की कमी की वजह से तलबा-ए-को काफ़ी मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है ।

हुकूमत उर्दू मीडियम असातिज़ा के तक़र्रुत में भी बे अमानी कर रही है । उर्दू मीडियम सरकारी स्कूलों के ख़ाली जायदादों को बताया नहीं जा रहा है । मज़मून वारी असातिज़ा ना होने की वजह से तलबा-ए-काफ़ी परेशान है । उर्दू मीडियम सरकारी स्कूल जो नहम जमात गुक है इस स्कूल में 200 तलबा और‌ तालिबात ज़ेर तालीम है ।

जिस में सरकारी असातिज़ा की सिर्फ 2 जायदादें हैं । नवीं जमात तक सिर्फ दो असातिज़ा ही अपनी ख़िदमात अंजाम दे रहे हैं । उर्दू मीडियम स्कूलों में निसाबी कुतुब भी वक़्त पर दस्तयाब नहीं होती है । उर्दू मीडियम स्कूलों में बुनियादी सहूलतें ना होने की वजह से हैं और असातिज़ा की कमी से अवाम हुकूमत पर नाराज़गी का इज़हार कर रहे हैं ।

विकाराबाद में ज़िलई डाईट भी मौजूद है । जिस में उर्दू मीडियम सेक्शन के लिए तकरीबन 10 सालों से एक ही लकचरर के ज़रीया ख़िदमात अंजाम दी जा रही है । हालिया अर्सा में दो असातिज़ा को डिपोटेशन पर रखा गया है । डाईट के उर्दू मीडियम सेक्शन में 100 उम्मीदवार तरबियत हासिल कर रहे हैं

मज़मूनवारी लेकचररस ना होने की वजह से उन्हें काफ़ी दुशवारी पेश आरही है । हुकूमत उर्दू ज़बान , उर्दू मीडियम स्कूलस और उर्दू इदारों को नज़रअंदाज कर रही है।
हुकूमत उर्दू ज़बान , उर्दू मीडियम सरकारी मदारिस और उर्दू सरकारी असातिज़ा की तरक़्क़ी के नाम पर कब तक आंखमिचौली खेलगी रहेगी और कब तक उर्दू दां तबक़ा के साथ सौतेला सुलूक करती रहेगी ।

इसे में उर्दू तबक़ा में शदीद नाराज़गी पाई जा रही है । विकाराबाद गरीब‌ तबके के लोगो रियासती काबीना वज़ीर जी प्रसाद कुमार , ज़िला कलैक्टर श्रीमती वाणी प्रसाद और मुताल्लिक़ा ओहदेदारों से मांग‌ कर रहे हैं कि उर्दू ज़बान को तरक़्क़ी दें और इस पर अमल आवरी करें