ज़िमनी इंतेख़ाबात और तलंगाना जज़बा

तेलंगाना इलाक़ा के 6 असेंबली हलक़ों और आंधरा के दो हलक़ा में आज ज़िमनी इंतेख़ाबात के लिए राय दही हो रही है। इलाक़ा तेलंगाना के 6 के मिनजुमला 5 हलक़ों में टी आर ऐस क़ाइदीन के इस्तीफ़ा के बाइस वोट डाले जा रहे हैं तो महबूबनगर में आज़ाद रुकन असेंबली की मौत से ये नशिस्त ख़ाली हुई थी।

इस हलक़ा से मुस्लिम उम्मीदवार की कामयाबी की राह में रुकावट बनने के लिए बी जे पी ने उम्मीदवार खड़ा किया है तो यहां फ़िर्कावाराना ख़ुतूत पर वोट तक़सीम करने में कामयाबी होगी या तेलंगाना जज़बात को एहमीयत दी जाएगी इस का अंदाज़ा नताइज के बाद ही चलेगा।

ज़िमनी इंतेख़ाबात में टी आर एस की कामयाबी कोई ग़ैरमामूली बात नहीं होगी अलबत्ता उसे शिकस्त से दो-चार होना पड़े तो ये इंतेख़ाबात तेलंगाना जज़बात से खिलवाड़ करने का सबक़ होंगे। कांग्रेस को ज़िमनी इंतेख़ाबात में कामयाबी या नाकामी से कोई ख़ास धक्का नहीं लगेगा। क्योंकि इस ने प्रजा राज्यम को ज़म करके अपनी अददी ताक़त में इस्तेहकाम पैदा कर लिया है जहां तक तेलंगाना जज़बात का सवाल है इस पर बाअज़ मुवाफ़िक़ तेलंगाना क़ाइदीन की नेकनामी पर आने वाली आंच का कुछ ना कुछ असर राय दहिंदों पर पड़ेगा। नागर करनूल की नशिस्त से तेलंगाना जज़बा की परख की जा सकती है।

नागम जनार्धन रेड्डी ने आज़ाद उम्मीदवार की हैसियत से ख़ालिस तेलंगाना जज़बा की लहर को कैश करने के लिए मैदान में क़दम रखा है। आज राय दहनदे उनके जज़बा का एहतेराम करते हैं तो उन्हें कामयाबी मिलेगी। तेलंगाना की पाँच दहों पुरानी तारीख़ के नशेब-ओ-फ़राज़ में जहां उल-मनाक पहलू मौजूद हैं वहीं एक मुस्तक़िल अलमीया ये है कि तेलंगाना तहरीक का हर दौर में मुताल्लिक़ा क़ाइदीन ने इस का इस्तेहसाल किया है।

तेलंगाना की सियासत में मुफ़ाद परस्तों और धोका बाज़ क़ियादत की मुस्तक़िल मौजूदगी से असेंबली के ऐवान के लिए इन क़ाइदीन का इंतेख़ाब महिज़ सयासी मुफ़ादात की पूजा से ज़्यादा कुछ नहीं रहा है। तेलंगाना के राय दहिंदों ने अपने जज़बात के आंसुओं की लड़ी के साथ क़ाइदीन को वोट दिया इस के इव्ज़ उन्हें कोई राहत हासिल नहीं हुई। सवाल ये है कि इस मर्तबा ज़िमनी इंतेख़ाबात के बाद मुंतखिब होने वाले क़ाइदीन अपने मक़सद में कामयाब होंगे और अवाम के तवक़्क़ुआत को पूरा कर सकेंगे।

तेलंगाना के क़ियाम के लिए जारी जद्द-ओ-जहद या इसके लिए अरकान असेंबली के जज़बात से भरपूर इस्तीफ़ों का रिवायती इक़दाम इलाक़ा के लिए किस हद तक तरक़्क़ी दिला सका इस का जायज़ा लेने की ज़रूरत है। इन राय दहिंदों को जो सुबह से पोलिंग बूथ पहुँचकर अपना क़ीमती वोट डालने वाले हैं ये सोचना ज़रूरी है कि इन का वोट फिर एक बार ज़ाए ना हो जाए।

इलाक़ा की तरक़्क़ी को एहमीयत दिए बगै़र सिर्फ सयासी ड्रामा का हिस्सा बनने वाले क़ाइदीन को मुंतखिब करने से किया ठोस नताइज बरामद हो सकेंगे। इलाक़ा तेलंगाना के राय दहिंदों को इस अमर का ख़्याल रखना है कि तेलंगाना के बुनियादी मसाइल से राह फ़रार इख्तेयार करने वाले क़ाइदीन को वोट दिया जाए या उन ओहदेदारों को मुंतखिब करें जो इलाक़ा की तरक़्क़ी और अवाम की बहबूद के लिए काम करने का जज़बा रखते हैं।

तेलंगाना जज़बात का इस्तेहसाल करने वालों पर तन्क़ीद करते वक़्त तन्क़ीद का बुनियादी जवाज़ भी तलाश करना ज़रूरी है। अगर वो पार्टी जिस पर उन्होंने भरोसा क्या इसने तेलंगाना तहरीक से वाबस्ता जज़बात को कमज़ोर कर दिया तो फिर इलाक़ा के साथ धोका करने वाले क़ाइदीन की तारीख़ दुहराई जाएगी।

तेलंगाना की सियासत में खु़फ़ीया चेहरों के किरदारों को सबसे पहले बेनकाब करने के लिए ज़रूरी है कि यहां के राय दहनदे अपने वोट का दरुस्त इस्तेमाल करें। इस वक़्त तेलंगाना के सयासी गोशों में यही बात गश्त कर रही है कि तेलंगाना तहरीक का दम भरने वाले क़ाइदीन में ऐसे कितने अनासिर हैं जिन्होंने अवाम के जज़बात का ग़लत फ़ायदा उठाया है। उसे मख़सूस मुफ़ादात का तहफ़्फ़ुज़ किया और वो कौन हैं जिन्होंने अपनी बेबाकी के लिए सयासी क़ुर्बानियां दी हैं।

तेलंगाना के राय दहिंदों के लिए इंतिहाई अदब के साथ यही इस्तेदा की जाती है कि गेहूं के साथ घुन को पीसने के बजाय तेलंगाना तहरीक की रोशनी में उसे क़ाइदीन को मुंतखिब करें जो उन के जज़बात का एहतिराम करते हों। हुक्मराँ कांग्रेस ने ये दिखा दिया है कि ऐसे इलाक़ा के अवाम के जज़बात का ख़ास ख़्याल नहीं है।

बी जे पी ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा करके साबित कर दिया है कि ऐसे इलाक़ा की फ़िक्र नहीं है बल्कि तेलंगाना में फ़िर्कावाराना ख़ुतूत पर सियासत का बीज होकर अपने फ़िर्क़ा पुरसताना एजंडा को रूबा अमल लाना है। इस ज़िमनी इंतेख़ाबात के हवाले से हुकूमत और अपोज़ीशन के सियासतदानों के साथ साथ अवाम को ये सोचना चाहीए कि गुज़श्ता के इंतेख़ाबात और उन ज़िमनी इंतेख़ाबात के दरमयान इलाक़ा की तरक़्क़ी के लिए क्या इक़दामात किए गए।

क़ब्लअज़ीं मुंतखिब क़ाइदीन ने अपने राय दहिंदों के मसाइल की किस हद तक यकसूई की है। इसमें शक नहीं कि अवाम में सयासी शऊर पाया जाता है और वो 2009 से अब तक इलाक़ा तेलंगाना में होने वाले तरक़्क़ीयाती इक़दामात और सियासतदानों की चालाकियों से ज़हूर पज़ीर होने वाले अहम सयासी वाक़ियात से आगही रखते हैं। और पता चल चुका है कि इस अर्सा में तेलंगाना तहरीक को कमज़ोर करने या उस तहरीक के नाम पर ड्रामाई स्टेज सजाने वालों ने किया काम किया है।

तेलंगाना के राय दहनदे अपना वोट किस की झोली में डालेंगे ये उनकी शऊरी सियासत पर मुनहसिर है।