ज़िमनी इंतेख़ाबात में टी आर एस उम्मीदवार सैयद इबराहीम की धूम

इलाक़ा तेलंगाना के 6 हलक़ा जात में हो रहे असैंबली इंतिख़ाबात इंतिहाई एहमीयत के हामिल हैं गुज़श्ता ज़िमनी इंतेख़ाबात में टी आर एस का जो तूफ़ान था वो तूफ़ान किसी सयासी हलक़ा में नज़र नहीं आता ताहम अलहदा रियासत की लहर अपनी जगह बरक़रार दिखाई देती है।

एक तरफ़ तेलगुदेशम का ये तसव्वुर है कि अगर इन इंतेख़ाबात में कम अज़ कम दो नशिस्तें तेलगुदेशम को हासिल हो जाए तो आम इंतेख़ाबात में तेलगुदेशम की इक़्तेदार पर वापसी का इशारा होंगी । एक तरफ़ कांग्रेस इक़्तेदार के फैलते क़दम को महसूस करते हुए भी अवाम में ये तास्सुर दे रही है कि कांग्रेस मुस्तहकम है और हुकूमत को कोई नुक़्सान नहीं होगा एक तरफ़ टी आर एस का डर दूसरी तरफ़ वाई एस आई जगन का ख़ौफ़ दिल में लिए ये जमात अपने इक़्तेदार के दिनों की गिनती में मसरूफ़ दिखाई दे रही है तो सब से ज़्यादा इम्तेहानी घड़ी के चन्द्र शेखर राव के लिए है अब तक का मुआमला अलग था अब टी आर एस के लिए सैयद इबराहीम कोहीनूर बन गए हैं |

इंतेख़ाबी मैदान में इन का नतीजा अपनी जगह ताहम तेलंगाना के हर इलाक़ा में इस उम्मीदवार का नाम ज़बान पर आ गया के चन्द्र शेखर राव ने सय्यद इबराहीम को मैदान में उतार दिया चीका भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को दस्तबरदार नहीं करवा सके दानिश्वरों का कहना है कि चन्द्र शेखर राव सैयद इबराहीम की कामयाबी के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को मैदान में रखना ज़रूरी समझते हैं ।

ये उन की सयासी हिक्मत-ए-अमली है और वो किसी मुस्लमान को असेंबली ले जाने के लिए बहुत ज़्यादा बेचैन हैं दूसरी तरफ़ ये तबसिरा आम हो गए हैं कि चन्द्र शेखर राव तेलंगाना की तहज़ीब और अक़ल्लीयतों को ख़ुश करने कई एक मिसालें पेश करते हुए इंतेख़ाबी जलसों में मासूम मुस्लमानों को अपनी जानिब राग़िब कर लिया ताहम जब मुस्लिम उम्मीदवार का मुआमला आया तो वो ज़्यादा दिलचस्पी नहीं बता रहे हैं ताहम अब तेलंगाना के मुस्लमानों की नज़रें सय्यद इबराहीम उम्मीदवार हलक़ा असेंबली महबूबनगर की तरफ़ टिकी हुई हैं उन की कामयाबी से यक़ीनन टी आर एस मुस्लमानों के दिलों में एक नए अंदाज़ और जोश से उभर आयेगी क्योंकि जिस दिन से उत्तर प्रदेश के नताइज आए हैं अक़ल्लीयतों में ग़ैरमामूली शऊर बेदार हुआ कि कांग्रेस भी सयासी हिस्सादारी मुस्लमानों को नहीं दे सकती सिवाए ख़ुशकुन ब्यानात के लिहाज़ा उन इंतेख़ाबात से ये बात वाज़िह होजाती है कि आम इंतेख़ाबात में रियासत का हश्र क्या होने वाला है ।

मासूम अक़ल्लीयतों ने कभी भी इक़्तेदार की ख़ाहिश का इज़हार नहीं किया बल्कि क़ाइद की कामयाबी के लिए जद्द् ओ जहद करते रहे तेलंगाना के अज़ला में मुस्लमानों की इतनी बड़ी अक्सरीयत के बावजूद हुकूमत को ख़्याल नहीं आया कि इस इलाक़ा से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को एम एल सी बनाकर वज़ारत में शामिल किया जाए क्या मुस्लमानों के साथ ऐन इंतेख़ाबात से क़ब्ल ही क़ियादत सिर्फ़ रवैय्या में तब्दीली लाकर ख़ुश कर दे और इंतेख़ाबात के फ़ौरी बाद भूल जाय कांग्रेस में अपनी पालिसी पर ग़ौर-ओ-फ़िक्र करते हुए समाज के तमाम तबक़ात में यकसानियत का एहसास दिलाना होगा ।

अवाम भी जानना चाहते हैं कि क्या कमी है साबिक़ वज़ीर मुहम्मद फ़रीद उद्दीन में क्या ख़राबी है आबिद रसूल सीनीयर कांग्रेसी क़ाइद में क्या सलाहीयतें मौजूद नहीं साबिक़ ज़िला परिषद चेयरमैन मुहम्मद सुलतान अहमद में अगर इसी तरह नामों को क़लमबंद किया जाए तो अख़बार के सफ़हात कम पर जाएंगे लेकिन आसार-ओ-क़रानीन इस बात की तरफ़ इशारा कर रहे हैं कि अब अक़ल्लीयतें अपने क़ाइदीन के साथ क़तई ना इंसाफ़ी बर्दाश्त नहीं कर सकती इससे पहले के अवाम हुक्मराँ जमात से अपनी बेज़ारगी का इज़हार कर दें उत्तर प्रदेश से हुकूमत ही नहीं हर सयासी जमात के आली क़ाइदीन को ग़ौर करने का वक़्त आ चुका है 21 तारीख़ रियासत आंधरा प्रदेश की सयासी तारीख़ में इंतेख़ाबी एहमीयत की हामिल होगी क्योंकि अब अक़ल्लीयतें हुकूमत में अपने नुमाइंदों की तादाद ज़्यादा चाहते हैं और अक़ल्लीयती क़ाइदीन के साथ सयासी इंसाफ़ के मुंतज़िर हैं अब अक़ल्लीयतों का एहसास पूरी तरह जाग उठा है यही सबब है कि मुल़्क की सब से बड़ी रियासत में सब से छोटी उम्र का वज़ीर-ए-आला हुकूमत की बागडोर सँभाल चुका है शायद वहां की अक़ल्लीयतें इंतेख़ाबात से क़ब्ल ही इन आशार का ख़ुलासा कर चुकी थी |