ज़िम्नी इंतेख़ाबात (उप चुनाव) अवाम को धोका देने के मुतरादिफ़ (बराबर) :प्रभात झा

मध्य प्रदेश के ज़िला खारगोन में महेश्वर असेबली हलक़ा में 12 जून मुनाक़िद शुदणी ज़िम्नी इंतेख़ाबात (आयोजित उप चुनाव) में हुक्मराँ जमात बी जे पी और अपोज़ीशन कांग्रेस के दरमयान कांटे का मुक़ाबला मुतवक़्क़े (निश्चित) है ।

हालाँकि इंतेख़ाबी मैदान में जुमला 12 उम्मीदवार हैं लेकिन अहम (मुख्य) मुक़ाबला कांग्रेस के देवेंद्र साधू और बी जे पी के राज कुमार के दरमयान है ।यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि 2008 में देवेंद्र की बहन विजए लक्ष्मी ने इस हलक़ा (क्षेत्र) से कामयाबी हासिल करते हुए राज कुमार मेव को शिकस्त दी थी ।

राज्य सभा के लिए मुंतख़ब होने पर विजए लक्ष्मी ने अपनी नशिस्त ( सीट) से इस्तीफ़ा दे दिया था जिसके बाद ज़िमनी इंतेख़ाबात मुनाक़िद ( आयोजित) कराना नागुज़ीर ( जरूरी/ आवश्यक़) हो गया था जबकि मध्य प्रदेश के बी जे पी सदर प्रभात झा ने कुछ अर्सा क़ब्ल वाज़िह तौर पर इस बात की मुख़ालिफ़त की थी कि मुंख़बा एम एल एज़ को लोक सभा और राज्य सभा की रुकनीयत के बाद अपनी नशिस्तों ( सीटो) से इस्तीफ़ा देने के अमल पर इन का कोई ईक़ान ( यकीन/ निश्चय) नहीं है । अवाम अपने काबिल-ए-एतिमाद उम्मीदवार को मुंतख़ब ( चयन/ चुनना)करते हैं और नतीजा क्या होता है ? मुंख़बा उम्मीदवार मुस्ताफ़ी ( इस्तीफा देने वाला) हो जाता है ।

इस तरह इलेक्शन का पूरा अमल और मसारिफ़ ( खर्च) बेकार हो जाते हैं और अवाम के एतिमाद (विश्वास/यकीन) को भी ठेस पहुंचती है । मिस्टर झा ने कहा कि बह अलफ़ाज़ दीगर असेह करना अवाम को धोका देने के मुतरादिफ़ (बराबर) है । उन्होंने एक चुभती हुई बात कही कि किसी भी एम एल ए को सिर्फ इसलिए अपने हलक़ा में ज़िमनी इंतेख़ाबात मुनाक़िद ( आयोजित) करवाने का कोई हक़ नहीं कि वो सयासी तरक़्क़ी करना चाहता है चाहती है । उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि महेश्वर हलक़ा से उनकी पार्टी को कामयाबी मिलेगी ।