एक गोरीला ने पार्क के चिड़ियाघर में फांसी लेकर ख़ुदकुशी करली। पाँच साल क़बल(पहले) मर्कज़, तवज्जु बनने के बाद जबकि उस की पैदाइश इंटरनैट पर रास्त नशर की गई थी, नाटो गोरीला, एक रस्सी के ढांचा से खेल रहा था।
चिड़ियाघर के डायरेक्टर ने कहा कि अगस्त 2002-ए-में सेलाब से चिड़ियाघर का वसीअ हिस्सा तबाह होचुका है। डायरेक्टर मीर वस्ले बाबक ने कहा कि रस्सी से खेलने के दौरान हादिसाती तौर पर गोरीला के गले में रस्सी का फंदा पड़ गया।
चिड़ियाघर के बच्चाव कारकुन उस की मदद के लिए दौड़ पड़े लेकिन गोरीला को फंदे से बचाकर नीचे उतारने के बाद डोक्टर ने इस का मुआइना(जाँच) करके उसे मुर्दा क़रार दिया।
गोरीला या बन मांस इंसानी इर्तिक़ा की गुमशुदा कड़ी समझा जाता है। गोरीला अपनी आज़ादी से इस क़दर मुहब्बत इस बात का वाज़िह सबूत है कि वो आराम-ओ-आसाइश की ज़िंदगी पर मशक़्क़त आज़ादी की ज़िंदगी को तर्जीह देता है और इस के लिए बाज़ाबता मंसूबा बंदी भी करसकता है ।