ज़फ़रयाब जीलानी मुसलमानों के मसाइल हल करवाने कोशां

लखनऊ, 06 अप्रेल: ज़फ़र याब जीलानी एडवोकेट ख़ामोशी के साथ रियासती हुकूमत से मुसलमानों के माम‌लात मसाइल हल कराने में लगे हुए हैं। इस बाबत वो ख़्वामख़्वाह की पब्लिसिटी नहीं करा रहे हैं। ये बात इलहाबाद हाईकोर्ट के आधे दर्जन से ज़ाइद सरकरदा वुकला ने अपने एक दस्तख़त शूदा बयान में कही। इस बयान पर दस्तख़त करने वालों में फ़ारूक़ अहमद एडवोकेट दानिश एडवोकेट कफ़ील अहमद एडवोकेट नसीम एडवोकेट के नाम शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उल्मा कौंसल के सदर मौलाना आमिर रशादी ने गुज़िश्ता रोज़ ज़फ़रयाब जीलानी एडवोकेट के ख़िलाफ़ बयान दिया था वो हक़ायक़ से दूर है। उन्होंने कहा कि मौलाना आमिर रशादी की बिना पर आज़म गढ़ के दो नौजवानों आतिफ़ और साजिद के फ़र्ज़ी उनका जो नई दिल्ली के बटला हाउस‌ में सितम्बर 2008‍ में हुआ था ये तहरीक नाकाम होगई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उल्मा कौंसल ने हालिया असेम्बली इलेक्शन में जो अपने उम्मीदवार खड़े किए इन में कई का ताल्लुक़ आर एस एस से था।

इस बाबत उन को वज़ाहत करनी चाहिए नीज़ मौलाना आमिर रशादी के पास इलेक्शन कराने की इतनी कसीर रक़म कहाँ से आई इस का हिसाब मौलाना को मुसलमानों के सामने पेश करना चाहिए। याद रहे कि 990 में बाबरी मस्जिद के तहफ़्फ़ुज़ के सिलसिले में मर्कज़ी वज़ीर बंसी प्रसाद वर्मा ने ये बयान दिया था कि मुलाय‌म सिंह ने बाबरी मस्जिद के तहफ़्फ़ुज़ के नाम पर मुसलमानों को धोका दिया था जिस को ज़फ़रयाब जीलानी एडवोकेट बहैसियत बाबरी मस्जिद एक्शण कमेटी के कन्वीनर के तौर पर नफ़ी की थी जिस पर मौलाना आमिर रशादी ने ज़फ़रयाब जीलानी को समाजवादी पार्टी का एजेंट और एडवोकेट जनरल के ओहदे के इव्ज़ मुसलमानों के मामलात की सौदेबाज़ी का इल्ज़ाम लगाया था।