फ़रोग़े उर्दू के लिए क़ानून की ज़रूरत

मुख़्तलिफ़ ज़बानों जैसे उर्दू के फ़रोग़ को रियासतों की जानिब से नज़रअंदाज किए जाने पर तशवीश का इज़हार करते हुए मर्कज़ी वज़ीर‍ ए‍ अक़लियती उमूर के. रहमान ख़ान ने आज ऐसा क़ानून लागू करने का मुतालिबा किया जो रियासतों के लिए लिसानी अक़लियती कमीशन की सिफ़ारिशात पर अमल आवरी को लाज़िमी बनाएगा।

रहमान ख़ान ने कहा कि विज़ारते अक़लियती उमूर ने कमीशन की सिफ़ारिशात मुख़्तलिफ़ ज़बानों जैसे उर्दू के फ़रोग़ के लिए रियासती हुकूमतों को भेजी हैं, जिन्होंने उन्हें बिलकुलिया नज़रअंदाज कर दिया। रहमान ख़ान ने कहा कि हमारे दस्तूर के बानियों का एहसास रहा कि ऐसी ज़बानों को नज़रअंदाज किया जाएगा जो लिसानी अक़लियत के ज़ुमरे में आती हैं। लिहाज़ा लिसानी अक़लियती कमिशनर का ओहदा तशकील दिया गया लेकिन अफ़सोस है कि ये ओहदा महिज़ रस्मी उमूर तक महिदूद होकर रह गया है।

रहमान ख़ान ने कहा’मेरे ख़्याल में ऐसा क़ानून बनाना चाहीए कि रियासती हुकूमतें इन ज़बानों के लिए काम करने पर मजबूर होजाएं। आप दस्तूर में चाहे कुछ भी तहरीर करलें, लेकिन जब तक आप कोई क़ानून नहीं बनाते हैं कोई भी तवज्जा नहीं देता है।’

क़ौमी कमिशनर लिसानी अक़लियत इलहाबाद में क़ायम हैं। दस्तूर का आर्टीकल 350B सदर जम्हूरिया की जानिब से लिसानी अक़लियतों के लिए ख़ुसूसी अफ़्सर के तक़र्रुर की गुंजाइश फ़राहम करता है। लिसानी अक़लियतों के लिए फ़राहम करदा तहफ़्फुज़ात से मुताल्लिक़ तमाम उमूर की जांच करना और वक़्फे वक़्फे से सदर जम्हूरिया को आगाह करना उस की ज़िम्मेदारी होती है। रहमान ख़ान ने कहा कि उर्दू को चाहने वालों को चाहीए कि दबाव‌ डालें ता कि हुकूमतें इस ज़बान के फ़रोग के लिए काम करें।