मुस्लिम तंज़ीमों के ज़िम्मेदारान ने चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव की तरफ से नलगेंडा में फ़र्ज़ी एनकाउंटर मुआमले की एस आई टी तहक़ीक़ात के एलान को रध कर दिया।
वहदत इस्लामी की तरफ से ईदगाह उजाले शाह में मुनाक़िदा जल्सा-ए-आम के दौरान मुस्लिम तंज़ीमों के ज़िम्मेदारान-ओजलसे में मौजूद सामईन ने एस आई टी की तशकील के एलान को रध करके सब से पहले इन नौजवानों के सफ़ाकाना क़त्ल में शामिल् ओहदेदारों को मुअत्तल किरण और तहक़ीक़ात का आग़ाज़ करने का मुतालिबा क्या।
मौलाना नसीरुद्दीन , मौलाना अबदुल अलीम इस्लाही , मुश्ताक़ मलिक , मुहम्मद अज़हरुद्दीन , मुजाहिद हाश्मी के अलावा सैफ़-उल्लाह ख़ालिद एडवोकेट ने सईदाबाद ईदगाह उजाले शाह में मुनाक़िदा जलसे से ख़िताब क्या। मौलाना नसीरुद्दीन ने कहा कि मिल्लत-ए-इस्लामीया में इजतेमाईयत का फ़रोग़ ज़रूरी है। उन्होंने बताया के मुस्लिम नौजवानों को बेदार करके इन में फैल रही बुराईयों को दूर करने और उन्हें अल्लाह के रास्ते पर चलने की तरग़ीब देने की ज़रूरत है।
मौलाना नसीरुद्दीन ने बताया कि ये हालात नए नहीं है बल्कि हर दौर में नौजवानों को निशाना बना कर पुलिस ने हौसले पस्त करने की कोशिश की है।
मौलाना इस्लाही ने अफ़सोस का इज़हार किया कि एफ़ आई आर को असरी जिहाद क़रार दिया जा रहा है। जबकि एफ़ आई आर के नताइज किया निकलते हैं इस का अंदाज़ा मुजाहिद सलीम इस्लाही की एफ़ आई आर से लगाया जा सकता है।
जिसे दर्ज हुए 11 साल गुज़र चुके हैं। उन्होंने मुनज़्ज़म अंदाज़ में ज़ंजीरी धरना और भूक हड़ताल के ज़रीये इंसाफ़ के लिए जद्द-ओ-जहद की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
मुश्ताक़ मलिक ने कहा कि चन्द्रशेखर राव ने एस आई टी की तशकील के ज़रीये तहक़ीक़ात का एलान करके अपनी ज़हनीयत वाज़िह करदी है। उन्होंने बताया कि एवानों में मौजूद मुंख़बा मुस्लिम नुमाइंदों की ख़ामोशी अफ़सोसनाक है। उन्होंने एस आई टी तहक़ीक़ात के एलान को खोखला क़रार दिया और बरसरे ख़िदमत हाइकोर्ट जज या सी बी आई तहक़ीक़ात का मुतालिबा क्या।
मुजाहिद हाश्मी ने मस्जिदों और मुस्लिम तंज़ीमों के शहर में मुस्लिम नौजवानों पर होने वाले मज़ालिम पर अफ़सोस का इज़हार करते हुए कहा कि सरकारी दहश्तगर्दी के ज़रीये शहर की पुरअमन फ़िज़ा-ए-को निशाना बनाया जा रहा है।
सैफ़-उल्लाह ख़ालिद एडवोकेट ने 5 नौजवानों के क़त्ल को फ़रामोश ना करने का मश्वरह देते हुए कहा कि आज नौजवान महफ़ूज़ नहीं है कल क़ाइदीन महफ़ूज़ नहीं रहेंगे। नाइंसाफ़ीयों के सबब सूरत-ए-हाल में बिगाड़ आसकता है।