फ़लकयाती माहिरीन अवाम से मदद के ख़ाहां

लंदन, १७ जनवरी (एजैंसीज़) साईंसदानों ने अवाम से अपील की है कि वो रज़ाकाराना तौर पर ऐसे सय्यारों की तलाश में मदद दें जिन पर मुम्किना तौर पर ज़िंदगी मौजूद हो सकती है। इस काम में हिस्सा लेने के लिए रज़ाकारों को एक वैब साईट मुलाहिज़ा करना होगा जहां डेढ़ लाख सितारों की ऐसी तसावीर मौजूद हैं जो केप्लर ख़लाई दूर्बीन से खींची गई हैं।

गुज़श्ता बरस पेल और ऑक्सफ़ोर्ड यूनीवर्सिटीज़ के साईंसदानों पर मुश्तमिल एक बैन-उल-अक़वामी टीम की जानिब से बनाई जाने वाली इस वैब साईट पर उन्हें इन इशारों के बारे में भी बताया जाएगा जिन की मदद से वो किसी सय्यारे की मौजूदगी का अंदाज़ा लगा सकते हैं और ये कि अगर वो किसी सय्यारे की निशानदेही कर पाते हैं तो वो माहिरीन को कैसे बता सकते हैं।

ऑक्सफ़ोर्ड यूनीवर्सिटी के करस लनटाट का कहना है कि हम जानते हैं कि अवाम वो सय्यारे तलाश कर लेंगे जो कम्पयूटर नहीं कर पाया।केपलर ख़लाई दूरबीन ने 2009 में काम शुरू किया था और वो ख़ला के इस हिस्से का जायज़ा ले रही हैं जिस के बारे में ख़्याल है कि वहां हमारे सूरज जैसे सितारे मौजूद हो सकते हैं।

अब तक केप्लर की मदद से की जाने वाली अहम तरीन दरयाफ़त केपलर 22 बेनामी सय्यारे का मिलना है जो कि हुजम और दर्जा हरारत में ज़मीन से मशाबहा है और 600 नूरी साल के फ़ासले पर वाक़्य है।अब गुज़श्ता 9 माह के दौरान इस ख़लाई दूरबीन की मदद से हासिल की गई तसावीर वैब साईट पर फ़राहम की जा रही हैं। इस से क़बल उन तसावीर तक सिर्फ पेशावर महिरीन-ए-फ़लकीयात और उन के कम्पयूटर को रसाई दी गई थी। करस लनटाट के मुताबिक़ हमें यक़ीन है कि ऐसे बहुत से सय्यारे मौजूद हैं जिन्हें दरयाफ्त किया जाना बाक़ी है।