फ़ारिगीन जामिया को इख़लास‍ ओ‍ लील्लाहीय‌त से ख़िदमात अंजाम देने की तल्क़ीन

हैदराबाद । मुफ़क्किर ए इस्लाम मौलाना मुफ़्ती खलील अहमद शेख उल जामया निज़ामीया ने दारुत्तफ्सीर‌ जामिया में फ़ारीगिन जामिया , ज़िम्मा दारान ए मुल्हिक़ा मदारिस और मुल़्क की मुख़्तलिफ़ रियासतों से आए हुए तलबा से ख़िताब करते हुए कहा कि वो इल्म-ओ-अमल , तस्नीफ़-ओ-तालीफ़ , वाज़-ओ-नसीहत और ख़िदमत-ए-ख़लक़ को अपना मामूल बना लें ।

मौलाना मुफ़्ती खलील अहमद ने कहा कि जामिया की हक़ीक़ी तरक़्क़ी बलंद बाला इमारतों की तामीर से नहीं बल्कि फ़ारिगीन ए जामिया की ठोस इल्मी ख़िदमात से है ।

उन्हों ने कहा कि ये बात‌ वाबस्तगान जामिया के लिए बाइस-ए-मसर्रत है कि जामिया निज़ामीया आलमी जमिआत के मुमासिल ख़िदमात अंजाम दे रहा है और अरब ममालिक के मुख़्तलिफ़ अह्ले इल्म जामिया से इल्मी वाबस्तगी इख़तियार कर रहे हैं मुल़्क की क़ौमी जमिआत और कई मल्टीनेशनल कंपनियां जामिया के तलबा की ख़िदमात से इस्तिफ़ादा कर रही हैं ।

उन्हों ने फ़ारिगीन जामिया को जामिया का असासा क़रार दिया और कहा कि जामिया की अज़मत फ़ारिगीन से है । अगर वो सहीह सिम्त में ख़िदमात अंजाम दें तो जामिया की नेकनामी होगी । इसी तरह उन की जानिब से अगर तसाहुल का मुआमला हो तो
जामिया की नेकनामी मुतास्सिर होगी ।

मौलाना मुफ़्ती खलील अहमद ने कहा कि इल्म की ख़िदमत आलम को ज़िंदा जावेद बना देती है । हज़रत मौलाना अबू ल्वफा अफ्गानी का नाम आज दुनिया भर में इसी लिए ज़िंदा है कि उन्हों ने इल्म की ख़िदमत को अपना शीआर बना लिया था ।

मुफ़क्किर इस्लाम ने कहा कि आज का ज़माना मुसाबक़त है । हालात बदल रहे हैं , हालात के तक़ाज़े बदल रहे हैं । एसे में उल्मा गहरी बसीरत के साथ ख़िदमात अंजाम दें । मौलाना मुफ़्ती खलील अहमद ने उल्मा को एहसास कमतरी और ज़हनी-ओ-फ़िक्री पस्ती से बाहर आने की तल्क़ीन की और कहा कि ये चीज़ें रोशन मुस्तक्बिल की राह में रुकावट खड़ी करती हैं ।

उन्हों ने फ़ारिगीन जामिया को नसीहत करते हुए कहा कि वो तक़वा व तहारत और पाकीज़गी को अपना शिआर बनाएं । अस्लाफ़ के नक़श-ए-क़दम पर कारबंद रहें और मुसल्सल इल्मी ख़िदमात अंजाम दें ।

उन्हों ने कहा कि जामिया ने जिस मक़सद के लिए आप को तैयार किया है इस की तकमील ही जामिया की ख़िदमात है । उन्हों ने उल्मा को इत्तिहाद और मुहब्बत के साथ काम करने की तल्क़ीन की । मौलाना मुहम्मद ख़्वाजा शरीफ शेख उल्हदीस जामिया निज़ामीया ने अपने ख़िताब में फ़ारिगीन जामिया से कहा कि वो अपने फ़र्ज़ मंसबी को समझें और इख़लास और लील्लाहीय‌त के साथ ख़िदमात अंजाम दें । इल्म की ख़ुशबू से माहौल और मुआशरा को मुअत्तर करें ।

उन्हों ने कहा कि उल्मा अख़लाक़-ओ-किरदार के ख़ूगर बनें । उन्हों ने कहा कि आप लोग दुनिया की बड़ी डिग्रियां हासिल करसकते थे बेशुमार दौलत‍ ओ‍ सरव‌त जमा कर सकते थे लेकिन आप ने ईसार से काम लिया और अपने लिए इल्म को मुंतख़ब किया तो इस के तक़ाज़ों की तक्मील करें और जामिया से अपनी निसबत पर फ़ख़र करें । जामिया ने आप में हर तरह की अहलियत पैदा करदी है । आप उसे काम में लाएं ।

इस मौक़ा पर हिंदूस्तान की मुख़्तलिफ़ रियासतों से आए हुए फ़ारिगीन ए जामिया की बड़ी तादाद मौजूद थी । मौलाना हाफ़िज़ मुहम्मद अबदुल शकूर की क़िरात और मौलाना मुहम्मद मुनव्वर की नाअत शरीफ से जल्सा का आग़ाज़ हुआ । फ़ारिगीन जामिया ने अपनी तजावीज़ भी पेश कीं ।