फ़ाज़िल कोर्स को ग्रैजूएशन के ख़ुतूत पर फ़रोग़ देने का फ़ैसला

जुनूबी हिंद की अज़ीम आलमी शौहरते याफ़ता दरसगाह जामिआ निज़ामीया ने फ़ाज़िल कोर्स को गराइजवीशन के तर्ज़ पर तरक़्क़ी देते हुए उसे 3 साल पर मुहीत बनाने का फ़ैसला किया है।

शेख़ उलजामिआ निज़ामीया हज़रत अलालामा मुफ़क्किर इस्लाम मुफ़्ती ख़लील अहमद ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जामिआ निज़ामीया में अंग्रेज़ी , उर्दूज़बान के अलावा अंग्रेज़ी।अरबी तर्जुमा की क्लासस रोशनास करवाने के फ़ैसले के मुताल्लिक़ ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों को वाक़िफ़ करवाया। इस मौके पर शेख़ अलहदीस हज़रत अलालामा मौलाना ख़्वाजा शरीफ़ साहिब और सय्यद अहमद अली मोतमिद जामिआ निज़ामीया मौजूद थे।

मौलाना मुफ़्ती ख़लील अहमद ने बताया कि जामिआ निज़ामीया ने क़दीम निसाब में तरमीम के बगै़र इज़ाफ़ी निसाब की तालीम फ़राहम करने का फ़ैसला किया है ताकि तलबा की दुनियावी ज़रूरीयात की तकमील को यक़ीनी बनाया जा सके।

चूँकि दीन इस्लाम ने रोज़ी मेहनत से हासिल करने की हिदायत दी है और मज़हबी ख़िदमत की अंजाम दही में मसरूफ़ लोगों को दीन को ज़राए मआश बनाने से इजतिनाब करना चाहीए।

उन्होंने बताया कि उल्मा को मआशी तौर पर मुस्तहकम बनाने और उनकी बात में असर की बरक़रारी के लिए ये ज़रूरी हैके दीन को ख़ालिस रखते हुए दुनियावी ज़रूरीयात की तकमील के लिहाज़ से उन्हें तैयार किया जाये। मुफ़्ती ख़लील अहमद साहिब ने बताया कि फ़ी ज़माना ये बात अयाँ होचुकी हैके अंग्रेज़ी ज़बान से वाक़फ़ीयत हर किसी के लिए ज़रूरी है ताकि दुनियावी कारोबार का सिलसिला जारी रह सके। उन्होंने बताया कि इन ज़रूरीयात के पेशे नज़र जामिआ निज़ामीया की इंतेज़ामी कमेटी ने अंग्रेज़ी और उर्दू के साथ साथ अंग्रेज़ी।

अरबी तर्जुमा रोशनास करवाने का फ़ैसला किया है ताकि जामिआ निज़ामीया के फ़ाज़लीन को फ़राग़त तालीम पर इन ज़बानों में उबूर हासिल होसके। उन्होंने बताया कि जामिआ निज़ामीया ने इस इक़दाम के ज़रीये तारीख़ में पहली मर्तबा कोशिश का आग़ाज़ किया है और तवक़्क़ो हैके इस में कामयाबी हासिल होगी। उन्होंने बताया कि फ़ाज़िल में कामयाबी के लिए तलबा को अरबी और अंग्रेज़ी ज़बान में कामयाबी हासिल करना लाज़िमी होगा। अब तक जामिआ निज़ामीया में इबतिदाई जमातों से आठवीं जमात तक साईंस ,हिसाब के अलावा अंग्रेज़ी ज़बान की तालीम फ़राहम की जाती थी लेकिन अब फ़ाज़िल में भी अंग्रेज़ी ज़बान के साथ साथ उर्दू का सीखना लाज़िमी बनाया गया है।

मुफ़्ती ख़लील अहमद ने बताया कि बानी जामिआ फ़ज़ीलत जंग हज़रत मौलाना अनवार उल्लाह शाह फ़ारूक़ी (RH) ने क़ियाम जामिआ के ज़रीया उल्मा की जमात को तैयार करने और ख़ालिस दीनी मुआमलात की ख़िदमत का नज़रिया पेश किया था लेकिन साथ ही उल्मा को दुनियावी ज़रूरीयात की तकमील के लिए सनअतों से वाबस्ता करने का मंसूबा भी ज़ाहिर किया था लेकिन सनअतों के क़ियाम के लिए कसीर सरमाया दरकार होता है इसी लिए जामिआ निज़ामीया ने एक मुसबित इक़दाम के ज़रीये अंग्रेज़ी-ओ-उर्दू के अलावा अरबी।फ़ाज़िल कोर्स को ग्रैजूएशन के ख़ुतूत पर फ़रोग़ देने का फ़ैसला अंग्रेज़ी तर्जुमा की क्लासस को शामिल करने का फ़ैसला किया है।