हज़रत अबू हुरैरा रज़ी. कहते हैं कि रसूल करीम (स.व.) ने फ़रमाया अनक़रीब फ़ित्ने पैदा होंगे (यानी जल्द ही एक बड़ा फ़ित्ना सामने आने वाला है या ये कि पै बह पै थोड़े थोड़े वक्फ़ा से बहुत ज़्यादा फ़ितनों का जुहूर होने वाला है) इन फ़ितनों में बैठने वाला, खड़े होने वाले से बेहतर होगा और खड़ा होने वाला चलने वाले से बेहतर होगा और चलने वाला सइ करने वाले (यानी किसी सवारी के ज़रीया या पापियादा दौड़ने वाले और जलदी चलने वाले) से बेहतर होगा और जो शख़्स फ़ितनों की तरफ़ झांकेगा, फ़ित्ना उस को अपनी तरफ़ खींच लेगा!। पस जो शख़्स उन फ़ितनों से नजात की कोई जगह (या इस से भागने का कोई रास्ता) या पनाहगाह पाए (और या कोई ऐसा आदमी उस को मिल जाये, जिस के दामन में वो इन फ़ितनों से पनाह ले सकता हो) तो इस शख़्स को चाहीए कि इस के ज़रीया पनाह हासिल करले (यानी अगर इन फ़ितनों से भागने का कोई रास्ता मिल सकता हो तो फ़ितनों की जगह से निकल भागे या कोई एसी जगह उस को मालूम हो कि जहां छुप जाने की वजह से उन फ़ितनों से पनाह मिल सकती हो तो वहां जाकर छिप जाये या अगर कोई आदमी अपने साया आतिफ़त में पनाह देने वाला मिल सकता हो तो पास जाकर पनाह गूज़ीं हो जाये। (बुख़ारी , मुस्लिम)