कोलकता ०६ जनवरी (पी टी आई) क्या आप ने मुसव्विरी के किसी शाहकार की तरफ़ देखते हुए कोई नज़म पढ़ने की कोशिश की है? पाकिस्तान के अफ़सानवी शायर मरहूम फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की दुख़तर सलमा हाश्मी ने अपने वालिद की नज़मों और ग़ज़लों के अफ़्क़ार और मांवियत को अपनी पेंटिग्स मैं समाने की कामयाब कोशिश की है।
इसी सिलसिला में ए सांग फ़ारिद्-ए-स डी नामी एक अंग्रेज़ी किताब की इशाअत अमल में आई है, जिस में फ़ैज़ की 51 उर्दू ग़ज़लों नज़मों का अंग्रेज़ी तर्जुमा पेश किया गया है।
इस किताब का सब से मुनफ़रद पहलू ये है कि हर नज़म और ग़ज़ल के अफ़्क़ार और माअनवियत को इसी के सामने वाले सफ़ा पर पेंटिंग के रूप में पेश किया गया है जो सलमा हाश्मी की मुसव्विराना फ़नकारी का शाहकार है।