गुज़शता कुछ महीनों से हिंदूस्तान में फ़ौज और हुकूमत के माबेन इख्तेलाफ़ात की इत्तेलात ने गश्त करना शुरू कर दिया है । कहा जा रहा है कि हुकूमत और फ़ौज के माबेन एतेमाद का फ़ुक़दान है । अब तो ये भी इन्केशाफ़ हुआ है कि 16 – 17 जनवरी की दरमियानी रात को फ़ौज की दो यूनिटों ने दिल्ली की सिम्त गैर मालना कूच किया था और ये दोनों ही यूनिट्स दिल्ली से करीब के इलाक़ा तक पहूंच गई थीं जिन्हें बाद में रोक कर वापस कर दिया गया ।
ज़राए इबलाग़ की इत्तेलात में ये भी इद्दिआ किया गया था कि इस रात फ़ौज की ग़ैरमामूली और गैर मालना नक़ल-ओ-हरकत की वजह से हुकूमत के हलक़ों में बेचैनी पैदा हो गई थी और मोतमिद दिफ़ा को अपना बैरूनी दौरा मुख़्तसर करते हुए वतन वापस होना पड़ा था । अब वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह वज़ीर दिफ़ा मिस्टर ए के अनटोनी और ख़ुद फ़ौजी सरबराह जनरल वी के सिंह ने इन इत्तेलात को बे बुनियाद और सनसनी ख़ेज़ी पर मबनी क़रार देते हुए मुस्तर्द कर दिया है और कहा कि इन ख़बरों में किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है ।
वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने इस सारे तनाज़ा पर अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए कहा है कि ये खबरें सनसनी ख़ेज़ी पर मबनी हैं और चूँकि ये हस्सास नवीत का मुआमला है लिहाज़ा इस में एहतियात बरतनी चाहीए । इस तरह की इत्तेलात फैलाने से गुरेज़ करना चाहीए ।
डाक्टर सिंह का ये भी कहना था कि किसी भी तरह की हरकतों से फ़ौजी वक़ार को मुतास्सिर होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती । जहां तक वज़ीर दिफ़ा मिस्टर ए के अनटोनी का सवाल है इनका कहना है कि हिंदूस्तानी फ़ौज मुहिब-ए-वतन फ़ौज है । इन फौजियों पर कोई शक-ओ-शुबा नहीं किया जाना चाहीए जो अपने घरों और अपने रिश्तेदारों से दूर सहरा और जंगल और बर्फीली वादियों में मुल़्क की सरहदात की हिफ़ाज़त करते हैं।
मिस्टर अनटोनी ने कहा था कि हिंदूस्तानी फ़ौज से मुल्क में बग़ावत के अंदेशे नहीं हैं । हिंदूस्तानी फ़ौज उसी कोई हरकत नहीं कर सकती जिससे जम्हूरियत पामाल हो सकती है। फ़ौज की पेशक़दमी की जो इत्तेलात दी गई थीं वो सरासर बे बुनियाद और ग़लत हैं और फ़ौज की सरगर्मियां अपने मामूल के मुताबिक़ जारी रहती हैं। ख़ुद फ़ौजी सरबराह जनरल वी के सिंह ने भी कहा कि इस तरह की इत्तेलात ग़लत हैं और कुछ अनासिर फ़ौज-ओ-हुकूमत के माबेन इख्तेलाफ़ात को हवा देना चाहते हैं।
हिंदूस्तान में फ़ौज और हुकूमत के माबेन ताल्लुक़ात हमेशा ही ख़ुशगवार रहे हैं और दोनों को एक दूसरे का एतेमाद हासिल रहा है । ताहम हालिया कुछ हफ़्तों से फ़ौजी सरबराह जनरल वी के सिंह की तारीख पैदाइश के मसला पर जो इख्तेलाफ़ात पैदा हुए तो ये इंतिहा को पहूंच गए थे । फ़ौजी सरबराह ने तो हुकूमत और वज़ारत-ए-दिफ़ा से मायूस होकर अपनी तारीख पैदाइश पर अपने इद्दिआ को दुरुस्त क़रार देने के लिए अदालत का दरवाज़ा तक खटखटाया था ।
हालाँकि उन्हें अदालत में भी इस मसला पर कोई कामयाबी नहीं मिली थी लेकिन एक बात वाज़िह हो गई थी कि फ़ौज और हुकूमत के माबेन कुछ हद तक एतेमाद का फ़ुक़दान पैदा हो गया है और ये चूँकि इंतिहाई हस्सास नवीत का मसला है इसलिए दोनों ही फ़रीक़ैन को एहतियात से काम लेना चाहीए ।
इस मुआमला के कुछ ही दिन बाद फ़ौजी सरबराह जनरल वी के सिंह ने इद्दिआ किया था कि उन्हें एक दिफ़ाई मुआमलत की मंज़ूरी के लिए 14 करोड़ रुपय की पेशकश की गई थी । इस मुआमला में भी अब तहकीकात शुरू हो गई हैं और एक रीटायर्ड फ़ौजी ओहदेदार के रोल का जायज़ा लिया जा रहा है ।
यहां भी हुकूमत और जनरल वी के सिंह के ब्यानात में एक दूसरे से इख्तेलाफ़ देखा गया था । फ़ौजी सरबराह ने कहा था कि वो इस मुआमला से वज़ीर दिफ़ा को मतला करचुके थे । वज़ीर दिफ़ा मिस्टर ए के अनटोनी ने कहा कि फ़ौजी सरबराह ने हुकूमत की हिदायत के बावजूद रिश्वत की पेशकश करने वाले शख़्स के ख़िलाफ़ फ़ौरी कार्रवाई नहीं की थी ।
अभी ये मुआमला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि फ़ौज की गैर मालना नक़ल-ओ-हरकत की इत्तेलात ने सारे मुल्क को हैरतज़दा कर दिया था। हुकूमत और फ़ौज की जानिब से अब मुशतर्का तौर पर ये इद्दिआ किया जा रहा है कि ये इत्तेलात बिलकुल बे बुनियाद और सनसनी ख़ेज़ी पर मबनी थीं। इनमें कोई सच्चाई नहीं है और इसी कोई इत्तेला नहीं फैलाई जानी चाहीए जिससे फ़ौज का वक़ार मजरूह होता हो।
फ़ौज पर कोई शक-ओ-शुबा भी नहीं किया जा सकता।
यक़ीनी तौर पर हिंदूस्तानी फ़ौज का रोल अब तक काबिल-ए-सिताइश रहा है । फ़ौज की किसी भी हरकत पर कोई शक-ओ-शुबा की गुंजाइश नहीं रहती लेकिन हालिया अर्सा में जिस तरह के वाक़्यात एक के बाद दीगरे सामने आए हैं और जो तनाज़ा की शक्ल इख्तेयार कर गए हैं इस से हिंदूस्तान भर के अवाम में एक तरह की बेचैनी ज़रूर पैदा हुई है ।
इस बात का फैसला करने की बजाय इन तमाम मुआमलात में क़सूरवार कौन है यहां इस बात पर ज़ोर देना ज़्यादा मुनासिब महसूस होता है कि जो कुछ भी गलतफहमियां या इख्तेलाफ़ात पैदा हुए हूँ इन को मुल्क और क़ौम के मुफ़ाद को पेश नज़र रखते हुए हल किया जाना चाहीए और फ़ौज और हुकूमत को एक राय होकर अवाम के सामने पेश होना चाहीए ।
किसी भी तरह की गलतफहमियों को मज़ीद पनपने का मौक़ा फ़राहम नहीं किया जा सकता । हिंदूस्तान में फ़ौजी बग़ावत के अंदेशे नहीं हैं और ना हिंदूस्तानी फ़ौज से इसी किसी हरकत की तवक़्क़ो की जा सकती है लेकिन कुछ अनासिर फ़ौज और हुकूमत में यक़ीनी तौर पर ऐसे हो सकते हैं जो दोनों का वक़ार मजरूह कर सकते हैं लिहाज़ा दोनों ही फ़रीक़ैन को हस्सास और क़ौमी अहमियत के हामिल इस मसला पर सब्र-ओ-सुकून के साथ क़ौमी मुफ़ाद को ज़हन में रखते हुए हालात को दरुस्त करना चाहीए ।