नई दिल्ली 5 जून (पी टी आई) मरहलावार अंदाज़ में मुतनाज़ा मुसल्लह अफ़्वाज (ख़ुसूसी इख़्तयारात) क़ानून से दसतबरदारी का पुरज़ोर मुतालिबा करते हुए चीफ़ मिनिस्टर जम्मू-ओ-कश्मीर उमर अबदुल्लाह ने आज कहा कि मर्कज़ को एक ऐसा निज़ाम कारकरद बनाना चाहीए जो रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर में इस क़ानून को मंसूख़ करसके।
उन्होंने रियासत की मुसलसल बेहतर होती हुई सूरत-ए-हाल पर रोशनी डालते हुए कहा कि 2012 हर लिहाज़ से गुज़िश्ता 25 साल में बेहतरीन साल था और तशद्दुद की तमाम सरगर्मीयों में मुस्तक़िल और मुसलसल इन्हितात देखा गया।
बेशतर अफ़राद पुरामीद हैं कि रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर की सयान्ती सूरत-ए-हाल नुमायां तौर पर बेहतर होचुकी है। उन्होंने अलैहदगी पसंदों और पाकिस्तान के साथ बातचीत के अहया की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें पुख़्ता यक़ीन है कि तमाम देरीना मसाइल चाहे वो कितने ही हस्सास क्यों ना हूँ मुसलसल मुख़लिसाना बातचीत के ज़रीये हल किए जा सकते हैं।
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बेहतर ताल्लुक़ात यक़ीनी तौर पर रियासत जम्मू-ओ-कश्मीर की सयान्ती सूरत-ए-हाल पर असरअंदाज़ होंगे। उन्होंने कहा कि मुसल्लह अफ़्वाज के ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून से दसतबरदारी एक मुसबत इक़दाम होगा।
इस से अवाम का एतेमाद बहाल होगा और उनके हौसले बुलंद होंगे। उमर अबदुल्लाह फ़ौज के ख़ुसूसी इख़्तियारात क़ानून से दसतबरदारी का उसी वक़्त से मुतालिबा करते आरहे हैं जब से कि वो रियासत के चीफ़ मिनिस्टर मुंतख़ब हुए थे।