फ़ौज के ख़ुसूसी इख़्तेयारात से दसतबरदारी की तारीख़ मुईन ( मददगार) नहीं: उमर अबदुल्लाह

जम्मू, ०६ नवंबर (एजेंसीज़) वज़ीर-ए-आला जम्मू-ओ-कश्मीर उमर अबदुल्लाह ने आज एक अहम बयान देते हुए कहा कि मुसल्लह अफ़्वाज ( सशस्त्र सेना) को दिए गए ज़ाइद इख़्तयारात से दसतबरदारी को कई मराहिल में ख़त्म किया जाना चाहीए और वो ख़ुद भी इसके मरहला वार दसतबरदारी के हक़ में हैं जिसके लिए किसी ख़ास वक़्त का ताय्युन नहीं किया जा सकता।

मुसल्लह अफ़्वाज को ख़ुसूसी इख़्तेयारात एक्ट (AFSPA) से दसतबरदारी के लिए फ़िलहाल किसी मख़सूस वक़्त का ताय्युन नहीं किया जा सकता लेकिन ये बात भी अपनी जगह है कि ये ख़ानोन बहरहाल ख़त्म होगा। मीडीया नुमाइंदों से सरमाई दार-उल-हकूमत में सरकारी दफ़ातिर का आग़ाज़ करने के बाद बात करते हुए उन्होंने ये निशानदेही की।

यहां इस बात का तज़किरा ज़रूरी है कि जम्मू-ओ-कश्मीर में दरबार की मुंतक़ली एक सदी से भी ज़्यादा पुरानी रिवायत रही है, जहां सरमा ( सर्दी के मौसम में सरकारी दफ़ातिर जम्मू और गर्मा में श्रीनगर मुंतक़िल कर दिए जाते हैं। 1870 में डोगरा हुकमरानों ने इस रिवायत की दाग़ बैल डाली थी।

याद रहे कि गुज़शता साल अक्तूबर में उमर अबदुल्लाह ने AFSPA की दसतबरदारी के मुआमला को उस वक़्त गर्मा दिया था, जब उन्होंने कहा था कि रियासत के कुछ हिस्सों से AFSPA की अंदरून चंद रोज़ दसतबरदारी अमल में आएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

इस रोज़ से उन्हें हमेशा उन सवालात का सामना करना पड़ता है जहां उन से इस्तिफ़सार किया जाता है कि आख़िर वो अपना वाअदा कब पूरा करेंगे। लिहाज़ा अब ताज़ा तरीन बयान के मुताबिक़ ख़ुद उमर अबदुल्लाह ये नहीं जानते कि AFSPA से मुकम्मल दसतबरदारी कब इख्तेयार की जाएगी।

उन्होंने वाज़िह तौर पर कह दिया है कि इस के लिए कोई मख़सूस वक़्त का ताय्युन नहीं किया जा सकता। जब उन से ये पूछा गया कि रियासत में पंचायतों के सरबराहों को पाकिस्तान के अलहैदगी पसंद क़ाइद ( लीडर) सैयद सलाह उद्दीन से ख़तरात लाहक़ हैं तो उन्होंने कहा कि हुकूमत इस मुआमला में सख़्ती से निपटेगी।