फ़ज़ीशनस को समाजी ज़िम्मेदारी से वाक़िफ़ करवाना ज़रूरी

साबिक़ सदर जमहूरीया डॉ ए पी जे अबुलकलाम ने कहा कि मुस्तक़बिल के फ़ज़ीशनस को समाजी तौर पर ज़िम्मेदारी से वाक़िफ़ करवाने की मांग में इज़ाफ़ा होता जा रहा है।

ये बढ़ता हुआ अवामी एहसास हैके डॉक्टर्स को समाज के सामने जवाबदेह बनाया जाये अगर वो अपनी तालीम और अपने रिसर्च को अवाम की सेहत से मुताल्लिक़ तशवीश को दूर करने में काम में नहीं लाते।

अवाम चाहते हैंके डॉक्टर्स की अवाम और क़ौम के तईं ख़िदमात को लाज़िमी क़रार दिया जाये। डॉ अबुलकलाम ने यहां सहि रोज़ा रॉयल कॉलेज ऑब्सटेट्रिशन-ओ‍गयनालॉजिस्ट वर्ल्ड कांग्रेस 2014 का इफ़्तिताह अंजाम दिया।

इस मौके पर ख़िताब करते हुए उन्होंने कहा कि समाजी ज़िम्मेदारी और एहसास जवाबदेही के नतीजे में मेडिसन और समाज के दरमयान समाजी राबिता को इस्तिहकाम हासिल होता है और समाज इस बात से इत्तेफ़ाक़ करता हैके पेशा तिब्ब समाज को फ़राहम की जाने वाली ख़िदमात के बदले में कुछ हुक़ूक़ भी रखता है।

उन्होंने कहा कि सब से अहम मसला ये हैके साईंस जिस क़दर तेज़ी के साथ मालूमात हसाल करती जा रही है इतनी तेज़ी के साथ समाज में शऊर बदयार नहीं हो रहा है।

इस के अलावा बीमारीयों के ईलाज में अदवियात की समझ बोझ में भी एहतियात की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि जो डॉक्टर्स हिंदुस्तान के बाहर काम करते हैं उन्हें इक़दार और अख़लाक़ीयात का तहफ़्फ़ुज़ करने की भी ज़िम्मेदारी निभानी चाहीए।

बर्तानवी डिप्टी हाई कमिशनर बराए हैदराबाद एंड्र यूमुक एलेस्टर ने अपने ख़िताब में कहा कि हुकूमत बर्तानिया ने बहुत निगहदाशत सेहत को यक़ीनी बनाने हिंदुस्तान के साथ मिल कर काम करने का फ़ैसला किया है। इस शोबा में एक दूसरे से तआवुन-ओ-इश्तिराक किया जा रहा है।