रांची : जंगल महकमा की 57723.90 (लगभग 57724) एकड़ वन जमीन गायब हाे गयी है। मामला रामगढ़ जंगल डिविजन का है। जमीन का कहीं पता नहीं है। हालांकि सरकार के हुक्म में इस लापता जंगल का ज़िक्र है। सरकार की तरफ से मुक़र्रर शरह पर इस जमीन की कीमत 1457.06 करोड़ रुपये है। पीएजी ने रामगढ़ जंगल डिविजन के ऑडिट के बाद सरकार काे भेजी गयी अपनी जांच रिपोर्ट में इसका ज़िक्र किया है।
पीएजी की तरफ से सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में कहा गया है कि रामगढ़ जंगल डिविजन के दस्तावेज की जांच के दौरान जानकारी मिली कि इस डिविजन में कुल 183619.09 एकड़ जंगल ज़मीन है।
इसमें से 183250.59 एकड़ जंगल ज़मीन के लिए साल 1946 और 1954 में जंगल एक्ट की दफा 14(2),15(3) और 29(3) के तहत नोटिफिकेशन जारी की गयी थी। बाक़ी 368.50 एकड़ जंगल ज़मीन के लिए 11 नवंबर 1993 और 14 फरवरी 1994 को नोटिफिकेशन जारी की गयी थी। पहले से मुत्तला 183250.50 एकड़ जंगल ज़मीन में से जंगल डिविजन रामगढ़ के पास सिर्फ 125895.189 का ही हिसाब है।
रामगढ़ जंगल डिविजन के दस्तावेज में 110619.699 एकड़ जमीन ‘प्रोटेक्टेड फारेस्ट’ केे तौर में दर्ज है। 13504 एकड़ जमीन ‘रिजर्व फॉरेस्ट’के तौर में दर्ज है। इसके अलावा 1771.49 एकड़ जमीन मुख्तलिफ कामों के लिए दिये जाने का ज़िक्र है।
न काेई हिसाब, न ही दस्तावेज
पीएजी के ऑडिट के दौरान ओहदेदारों की तरफ से बाक़ी 57355.401 एकड़ जंगल की ज़मीन के हिसाब से मुताल्लिक कोई दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका। इस जमीन का न तो जंगल डिविजन के ‘एरिया रजिस्टर’ में ज़िक्र है आैर न ही जंगल ज़मीन के नक्शे में इसे दिखाया गया है।
रिपोर्ट में साल 1993 और 1994 में मुत्तला 368.50 एकड़ जंगल ज़मीन की बहस करते हुए कहा गया है कि एरिया रजिस्टर में इस जमीन का ज़िक्र नहीं है। वर्किंग प्लान और विलेज मैप में भी इसका ज़िक्र नहीं है। हालांकि मुत्तला में बालकुंद्रा, भुचुंगडीह और हुटुंगदाग मेें इस जमीन के होने का ज़िक्र है। इस तरह रामगढ़ जंगल डिविजन के पास कुल 57723.90 एकड़ जंगल ज़मीन का न कोई हिसाब है आैर न ही इस जमीन का कहीं पता है।