विजयनगरम: आज के वक़्त में जहाँ हर इंसान अपना पेट भरने के लिए मेहनत कर दो वक़्त की रोटी जूता रहा है वहीँ अल्लाह के भेजे कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ऐसे नेक कामों में जुटे हैं जिनको देख आम आदमी को तो ताज्जुब ही होता है। ऐसा नहीं है कि अल्लाह परवरदिगार ने इन्हें किसी और मिट्टी का बना ज़मीं पर भेजा है, फर्क सिर्फ इतना है कि ऐसे इंसानों का दिल दुसरे लोगों का दर्द और जरुरत को समझता है।
ऐसे ही एक शख्श हैं आंध्रा प्रदेश के कृष्णा जिले के रहने वाले अताउल्लाह शरीफ शतज खदिरी बाबा जिन्हें लोग बिरयानी बाबा के नाम से भी जानते हैं।
इस नेक काम की शुरुआत के बारे में इलाके के लोग और बिरयानी बाबा बताते हैं कि इस तरह लंगर की शुरुआत उनके गुरु खादर बाबा ने की थी। इस लंगर को 40 साल पहले शुरू किया गया था तब से लेकर अब तक इसे कभी रोक नहीं गया। इस बारे में बिरयानी बाबा का कहना है कि वो तो सिर्फ इस काम की देखभाल करते हैं असल शुक्रिया तो उन लोगों का है जिनके दिए दान से यह लंगर इतने सालों से चला आ रहा है।
यह लंगर चीमालापादू दरगाह के लंगर खाने में खिलाया जाता है। लंगर में मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह का खान परोसा जाता है। यहाँ लगने वाले लंगर में रोजाना करीब 1000 से 1500 लोग खाना खाते हैं और किसी किसी दिन तो 8 से10 हज़ार लोग भी लंगर खाते हैं। इतने लोगों का पेट भरने के लिए रोजाना यहाँ 2 टन बासमती चावल और कई क्विंटल चिकन का इस्तेमाल होता है।
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