ईरान पर युरोपी मुल्कों कि तरफ से लगाई जाने वाली नई पाबंदीयां 1 जुलाई से लागु हो रही है जिस के बाद ईरानी ख़ाम तेल ले जाने वाले समुंद्री जहाज़ों को इंशोरंस की सहूलत नहीं दी जाएगी और उसे तेल पहुंचाने के लिए इस के बदले दुसरा रास्ता तलाश करना होगा। इस सूरत-ए-हाल में जापान और हिंदूस्तान समेत कई मुल्कों ने अपनी आसानी और उन पाबंदीयों के असर से बचने के लिए क़ानून बनाना शुरू कर दिया है जबकि हिंदूस्तान और चीन ने ख़ुद तेल अपने मुल्कों तक ले जाने पर भी इत्तिफ़ाक़ किया है।
ईरान के झगडों का सबब बने जौहरी प्रोग्राम के जवाब में अमेरीका और युरोपी यूनीयन की तरफ से अब तक की कडी पाबंदियां लागु करने के बाद ईरानी तेल ले जाने वाले समुंद्री जहाज़ों और टैंकरों को इंशोरंस की सहूलत नहीं दि जाएगी।
तेल के कारोबार से जुडे इंशोरंस सैक्टर पर युरोपी मुल्क कब्जा किये हुये हैं। इस सिलसिले में ख़ाम (क्रूड) तेल पहुंचाने में इस्तिमाल होने वाले समुंद्री जहाज़ों को इंशोरंस देने वाली ओस्लो की उसकोलड नामी एक कंपनी के सदर जोनाथन हारे का कहना है कि:
कोई भी ज़िम्मेदार मालीयाती इदारा इस किस्म के ख़तरे को मामूली नहीं समझेगा। ईरान पर मग़रिब की जानिब से अब तक की सब से सख़्त पाबंदीयों की वजह से ईरानी तेल के ख़रीदार आहिस्ता आहिस्ता मुतबादिल रास्ते इख़तियार करते जा रहे हैं।