1 रुपय केलो चावल के ऐलान पर अवाम का मायूसाना रद्द-ए-अमल

हैदराबाद । 6 । अक्टूबर : ( सियासत न्यूज़ ) : एक ऐसे वक़्त जब अशीया ए ज़रुरीया से ताल्लुक़ रखने वाली हरचीज़ की क़ीमतें दिन बदन बढ़ती ही जा रही हैं,ऐसे में चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी की जानिब से राशन शाप के ज़रीया ग़रीब अवाम को एक रुपय केलो चावल की फ़राहमी का ऐलान ,दिन के उजाले में बेवक़ूफ़ बनाने के मुतरादिफ़ है,कम-अज़-कम अवाम का तो यही ख़्याल है। चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने गुज़शता दिनों यक्म नवंबर से ग़रीब अवाम को 1रुपय फ़ी केलो चावल फ़राहम करने का ऐलान किया है जिस का अवाम ने नियम दिल्ली के साथ ख़ैर मुक़द्दम किया है,क्योंकि इन का ख़्याल है इस से उन्हें कोई राहत नहीं मिल सकती ही।जहांनुमा पानी की टांकी से ताल्लुक़ रखने वाली हफीज़ा बी का कहना है कि चीफ़ मिनिस्टर अगर वाक़ई ग़रीब अवाम के तईं संजीदाएं तो सिर्फ चावल की ही क़ीमत में कमी क्यों ? राशन शाप के ज़रीया सरबराह किए जाने वाले दीगर अश्या -ए-की क़ीमतों में कमी क्यों नहीं की जाती? अगर दूसरी चीज़ों की क़ीमतों में भी कमी या मिक़दार में इज़ाफ़ा करदिया जाता तो महंगाई के इस दौर में ग़रीब अवाम को यक़ीनन राहत नसीब होती।उनके मुताबिक़ राशन शाप से ग़रीब अवाम को फ़राहम की जाने वाली दीगर अशीया मसलन तो रुदाल की क़ीमत 50रुपय फ़ी केलो के हिसाब से फ़ी कार्ड माहा ना सिर्फ आधा किलो दिया जाता है , जबकि मार्किट में तौर दाल 65ता 70 रुपये किलो दस्तयाब है। पाम ऑयल सिर्फ एक पाकेट दिया जाता है वो भी चालीस रुपय फ़ी लीटर के हिसाब से जबकि मार्किट में पाम ऑयल 40 ता 50 रुपये फ़ी लीटर दस्तयाब है , इसी तरह शुक्र 13.50रुपय फ़ी केलो के हिसाब सीमा हा ना सिर्फ आधा केलो दिया जाता है, ,गेहूं 7 रुपय केलो के हिसाब से सिर्फ पाँच केलो , आटा 17रुपय फ़ी केलो और ग़ियास तेल 15रुपय फ़ी लीटर के हिसाब से सिर्फ पाँच लीटर ही दिया जाता है , जबकि माज़ी में 3रुपय फ़ी लीटर के हिसाब से 23 लीटर ग़ियास तेल फ़राहम किया जाता था मगर अब सिर्फ 5लीटर दिया जाता है औरवह भी 15रुपय फ़ी लीटर के हिसाब से। उन्हों ने कहा कि ऐसी सूरत में सिर्फ चावल की क़ीमत एक रुपय केलो करदेने से अगरचीफ़ मिनिस्टर समझते है कि उन्होंने बहुत बड़ा कारनामा अंजाम दिया है तो ये सिर्फ़ उनकी ख़ुशफ़हमी है और कुछ नहीं । चंदरायन गट्टा से ताल्लुक़ रखने वाले अबदुर्रहिम ने राशन शाप के ज़रीया फ़राहम किए जाने वाले अशीया की मिक़दार पर हैरत का इज़हार किया और सवाल किया कि औसतन पाँच अफ़राद पर मुश्तमिल ख़ानदान केलिए किया मज़कूरा मिक़दार में फ़राहम किया जाने वाला राशन एक माह केलिए काफ़ी होसकताहै ? ज़ाहिर है इस क़दर मामूली मिक़दार में लोगों की ज़रूरीयात की तकमील नहीं होसकती , लिहाज़ा उन्हें खुले मार्किट का रुख करना ही पड़ता है जहां हर चीज़ की क़ीमत में आग लगी हुई है।सय्यद मुश्ताक़ का ताल्लुक़ किशन बाग़ से है ,उनका कहना है कि हुकूमत को चाहीए था कि वो खुले मार्किट में फ़रोख़त होने वाली अशीया की क़ीमतों पर कंट्रोल करते ,जहां आए दिन किसी ना किसी बहाने से क़ीमतें बढ़ा दी जाती हैं,उनके मुताबिक़ सिर्फ राशन शाप के ज़रीया फ़राहम किए जाने वाले चावल की क़ीमत में कमी करने से आम आदमी को कितना फ़ायदा होगा? माहाना सिर्फ़ 20रूपे, इस से एक आम आदमी कूकस तरह राहत मिल सकती ही।जबकि दूसरी तरफ़ हुकूमत पैट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में वक़फ़े वक़फ़े से इज़ाफ़ा करते हुए तमाम अशीया ज़रुरीया की क़ीमतों में इज़ाफ़ा करती जा रही है। उन्हों ने ब्रहमी का इज़हार करते हुए कहा कि हुकूमत को खुले मार्किट में अशीया की क़ीमतों पर कंट्रोल करना चाहीए जहां से तमाम शहरीयों का वास्ता पड़ता है और जिसकी वजह से आम शहरी हुकूमत के तईं बदज़नी का शिकार हो रहे हैं ,मगर इस तल्ख़ हक़ीत को नज़रअंदाज करते हुए राशन शाप के चावल , जिसे ग़रीब आदमी भी बहुत कम ही इस्तिमाल के काबिल समझते हैं,की क़ीमत फ़ी किलो एक रुपये करदेने से अवाम को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ सकता। मुक़ामी शहरीयों ने हुकूमत से मुतालिबा किया है कि राशन शाप के ज़रीया फ़राहम की जाने वाली अशीया की मिक़दार में इज़ाफ़ा किया जाय और खुले मार्किट में मौजूद अशीया ज़रुरीया की क़ीमतों पर कंट्रोल किया जाय तो अवाम को राहत नसीब होगी।