सऊदी अरब अपने तेल से होने वाली आमदनी में अचानक गिरावट के मद्देनजर विभिन्न बाहरी बैंकों से 10 अरब डॉलर का कर्ज ले सकता है। ब्लूमबर्ग न्यूज ने सऊदी अरब में इस योजना की जानकारी रखने वाले तीन प्रमुख हस्तियों के हवाले से कहा कि तेल निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश कम से कम 15 साल के दौरान पहली बार बाहरी कर्ज़ ले रहा है। ब्लूमबर्ग के सूत्रों ने कहा कि पांच साल में सक्षम वापस कर्ज़ लेने से संबंधित दस्तावेजों में इस महीने के अंत में हस्ताक्षर किए जाएंगे।
हालांकि सूत्रों ने अपनी पहचान गुप्त रखने के लिए जोर देते हुए कहा कि यह जानकारी गुप्तनीयता के हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जापान और चीन बैंकों सऊदी अरब को लंदन इंटर बैंक द्वारा की गई पेशकश से 120 मूल अंक से अधिक दर पर यह वित्त पोषित हैं। कच्चे तेल की कीमतों में पिछले दो साल के दौरान जबरदस्त कमी हुई है।
2014 में प्रति बैरल तेल की कीमत 100 डॉलर थी जो लगातार घटती हुई 40 डॉलर प्रति बैरल हो गई है जिसके नतीजे में सऊदी अरब को अपने परिव्यय में कमी के अलावा वैकल्पिक आर्थिक स्रोत खोजने के लिए जबरदस्त दबाव का सामना है। प्रतीकात्मक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण 2015 के सऊदी अरब में 98 अरब डॉलर का घाटा दिखाया गया और इस साल 87 अरब डॉलर के घाटे का अनुमान किया गया है।
सऊदी अरब ने आमदनी में कमी की समस्याओं से निपटने के लिए अपने शक्तिशाली और स्थिर वित्तीय भंडार को भुनाया जिसके नतीजे में इस वित्तीय भंडार जो 2014 में 732 अरब अमेरीकी डॉलर था, 2015 के दौरान 611-19 अरब अमेरीकी डॉलर तक घट गए। इसके अलावा सऊदी अरब ने सख्त कदम उठाते हुए दिसंबर के दौरान अंतर्देशीय ईंधन की कीमतों में 80 प्रतिशत की वृद्धि की।
इस प्रकार के सख्त कदम अतीत में कोई मिसाल नहीं मिलती। इसके साथ बिजली, पानी और अन्य सेवाओं पर दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की गई। आमदनी की कमी के कारण सऊदी अरब में कुछ बड़े पराजकों को स्थगित कर दिया है। इसके अलावा कई उद्योगों को घरेलू क्षेत्र के संदर्भ के अलावा नागरिकों और बाहरी आप्रवासियों पर विभिन्न कर लगाने की योजना भी विचार अधीन हैं।