10.86 लाख बच्चों को नहीं मिल रही बकाया स्कॉलरर्शिप

रांची : झारखंड के एसटी, एससी और अोबीसी के 10.86 लाख से ज़्यादा बच्चों को तीन सालों से स्कॉलरर्शिप की रकम नहीं मिल रही है। इनमें 1.58 लाख बच्चों को पोस्ट मैट्रिक मंसूबा के तहत कोर्स फीस और रख-रखा‍व फीश की अदायगी किया जाना था। इसमें 1.27 लाख से ज़्यादा तालिबे इल्म में और 30814 दूसरे रियासतों में आला तालीम हासिल कर रहे हैं।

इनके अलावा रियासत के मुखतलिफ़ स्कूलों में पढ़ रहे 9.28 लाख बच्चों को भी प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप नहीं मिल रही। फ्लाह बोहबुद महकमा को स्कॉलर्शिप अदायगी के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है।

पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरर्शिप : सरकार पोस्ट मैट्रिक स्कॉलर्शिप की अदागयी डाइरेक्ट नकद ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये से करने की बातें कह रही है। इसके बाद भी बकाया स्कॉलरर्शिप की फेहरिस्त मुसलसल बढ़ रही है। सिर्फ पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरर्शिप की अदायगी करने के लिए सरकार को 386.72 करोड़ रुपये की जरूरत है।

सरकार का कहना है कि वक़्त पर मरकज़ी मदद नहीं मिलने और स्टेट प्लान में कम तजवीज किये जाने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्री मैट्रिक स्कॉलरर्शिप : रियासत भर में 4.38 लाख प्राइमरी स्कूल के बच्चों, 3.31 लाख मिडिल स्कूल और 1.57 लाख हाइ स्कूल के तालिबे इल्म को भी स्काॅलरशिप की रकम नहीं मिल पा रही है। एसटी के 1.16 लाख, पसमानदा जाति के 7.62 लाख और एससी जाति के 49073 बच्चों को स्कूल अदायगी नहीं कर रहा है। इन बच्चों को स्कॉलरशिप देने के लिए सरकार को 82.63 करोड़ रुपये की जरूरत है।

क्या है वजह

फ्लाह बोहबुद महकमा की मानें, तो हर साल सिर्फ स्कॉलरर्शिप की अदायगी करने के लिए सरकार तीन सौ करोड़ से ज़्यादा का बजटीय तजवीज करती है। मरकज़ी स्पोंसर मंसूबा में मरकज़ से भी हुकूमत को वक़्त पर ग्रांट नहीं मिल पाता है। रियासती हुकूमत अपने कोटे का पैसा दे देती है। पर मरकज़ से पैसे नहीं मिलने की वजह से फेहरिस्त कम नहीं हो पा रही है।

महकमा के अफसरों का कहना है कि हर साल पूरक बजट के जरिये से बकाया स्कॉलरर्शिप की अदायगी करने की मांग की जाती है। पर फाइनेंस महकमा से परपोजल को मंजूरी नहीं मिल पाती है।

ओबीसी में एप्लीकेंट ज्यादा, इसलिए परेशानी
‘‘पोस्ट मैट्रिक में एससी और एसटी तबके के तालिबे इल्म के बकाया में से ज़्यादातर रकम की अदागयी कर दिया गया है। दीगर पसमानदा तबके में एप्लीकेंट ज्यादा होते हैं, इसलिए हुकूमत को इसमें परेशानी हो रही है।
श्रवण साय, कमिश्नर जनजातीय कल्याण