100 करोड़ की जमीन पर एमएलए की नजर

देवघर में डाबर इंडिया की 15.39 एकड़ जमीन पर हुकूमत की पार्टी के एक एमएलए की नजर है। 40 के दशक में यह जमीन हुकूमत ने एकवाइर कर डाबर को दी थी। डाबर अब उस जमीन की बिक्री कर रहा है। हुकूमत का एक एमएलए ने जमीन की रजिस्ट्री करा ली है। आज इस 15 एकड़ जमीन की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा लगाई जा रही है। हाल में ही यह एमएलए एक अहम पार्टी से टूट कर भाजपा में शामिल हुए हैं।

कबीले ज़िक्र है कि साल 2006-07 से ही डाबर इंडिया ने इस जमीन की बिक्री की कोशिश शुरू कर दी थी। साल 2009 में देवघर के मौजूदा डीसी ने इस पर एतराज़ जतायी थी। डीसी ने कहा था कि डाबर को जिस काम के लिए जमीन दी गयी थी, वह पूरा नहीं हो रहा हो तो असल रैयतों को जमीन लौटा दी जाये।

इसके बाद डाबर इंडिया ने ज़मीन महकम को रजिस्ट्री की इजाजत देने की दरख्वास्त किया। डीसी के इलावा बाकी तमाम अफसरों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि डाबर को जमीन बेचने का हक़ है। ज़मीन महकमा ने भी पहले जमीन की बिक्री के हक़ को गलत बताया, पर बाद में कहा कि डाबर को जमीन बेचने का हक़ है।

डीसी ने इसके बाद भी जमीन बिक्री की इजाजत नहीं दी। इसके बाद डाबर ने रियासती हुकूमत के साथ बातचीत के बाद जमीन रजिस्ट्री के लिए हाई कोर्ट में दरख्वास्त दायर की। हुकूमत के फैसले को बुनियाद बनाते हुए अदालत ने यह हुक्म दिया कि अगर कोई कानूनी अड़चन ना हो, तो रजिस्ट्री दो महीने में की जाये। इसके बाद डाबर ने एमएलए के नाम जमीन रजिस्ट्री कर दी।

40 के दशक में हुकूमत ने दर्जनों रैयतों को कुल 31 सौ रुपये मुआवजे देकर डाबर के लिए जमीन ली थी। आज 15 एकड़ जमीन की कीमत 100 करोड़ रुपये से ज्यादा बतायी जा रही है। जानकारों के मुताबिक देवघर के उस इलाके में एक डिसमिल जमीन की कीमत 8 से 10 लाख बतायी जाती है। देवघर में एकमुश्त इतनी बड़ी जमीन देख कर बड़े लोगों ने हाथ लगाया है, जबकि रैयत आज भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।