रियासत का बजट तैयार करने की कवायद शुरू हो गयी है। फायनेंस महकमा ने इसके लिए कसरत तेज कर दी है। साल 2015 -16 के लिए बजट का आकार करीब 117 हजार करोड़ यानी एक लाख 17 हजार करोड़ रुपये होगा। 2014-15 के बजट एस्टीमेट की मुक़ाबले में इसमें 10-15 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। गैर-मंसूबा मद में करीब 56 हजार और मंसूबा मद में 57 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान रखा गया है।
इसमें स्टेट प्लान 40 हजार 100 करोड़ का होगा। माली साल 2015-16 में रियासती आमदनी घाटे को ज़ीरो और रियासती खजाने के घाटे को जीडीपी का तीन फीसद रखा जायेगा। आइंदा बजट में खास बात यह होगी कि मरकज़ी से सीएसएस के तहत हासिल होनेवाले रुपये भी रियासती खजाने में ही आयेंगे। यह करीब 12 हजार करोड़ होता है। हालांकि इससे बजट आकार में बहुत अंतर नहीं पड़नेवाला है, लेकिन रियासत के खजाने में यह पैसा आने से कई मंसूबों के लिए रुपये की कमी नहीं होगी।
बजट की तैयारी के मद्देनजर फायनेंस महकमा तमाम महकमा के साथ अलग-अलग तारीखों में मैराथन बैठक की शुरुआत 17 नवंबर से करने जा रहा है। रोजाना दो-तीन महकमा के साथ बैठक होगी। सेहत, तालीम, ज़िराअत जैसे बड़े महकमा को पूरा एक दिन मिलेगा। 12 दिसंबर तक तमाम 48 महकमा के साथ बैठक करने का शिड्यूल फायनेंस महकमा ने जारी कर दिया है।
महकमा के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी रामेश्वर सिंह ने इस सिलसिले में तमाम महकमा के प्रिंकीपल सेक्रेटरी को खत भी लिखा है। तमाम महकमा को बजट तजवीज ऑनलाइन भर कर इसकी हार्ड कॉपी 12 नवम्बर तक फायनेंस महकमा में जमा करने को भी कहा है। इस बैठक में तमाम महकमा के साथ बजट की तजवीज होगी और इसके बुनियाद पर उन्हें नये माली साल के लिए रकम दी जायेगी।
चालू माली साल की दूसरी तिमाही खत्म हो चुकी है, लेकिन अभी तक 11 हजार करोड़ रुपये ही आमदनी जमा हो सका है। इसमें सबसे ज्यादा 70 फीसद टैक्स कारोबारी टैक्स से हासिल हुआ है। इसके बाद प्रॉडक्शन और शराब, रजिस्ट्रेशन और ट्रांसपोर्ट महकमा से सबसे ज्यादा टैक्स हासिल हुए हैं। इस बार कर टैक्स जमा का टार्गेट 25 हजार 500 करोड़ रुपये रखा गया है। लेकिन आठ महीने बीतने के बाद भी टैक्स का जमा 50 फीसद से भी कम हुआ है। हालांकि इस सिलसिले में माहेरीन बताते हैं कि आखरी चार महीने में सबसे ज्यादा टैक्स जमा होता है। इससे बहुत फिक्र की बात नहीं है।
पांच साल में दोगुना हुआ बजट
2010-11 51 हजार करोड़
2011-12 60 हजार करोड़
2012-13 70 हजार करोड़
2013-14 92 हजार करोड़
2014-15 117 हजार करोड़